आज देश के सबसे चर्चि‍त अयोध्‍या मामले में बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 25वीं बरसी मनाई जा रही है। अयोध्‍या में 6 दिसंबर 1992 में हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दी थी ज‍िसके बाद से यह मामला देश में बड़ा मुद्दा बन कोर्ट में है। हाल ही में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई फ‍िर टल गई है। बतादें क‍ि‍ यह मामला 25 साल नहीं बल्‍क‍ि 132 साल पहले ही कोर्ट पंहुच गया था। जानें क‍िसने खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा...

बाबरी मस्जिद ढहाई गई
अयोध्या मामला काफी विवादित है। राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर दो समुदायों के बीच है। इस विवाद ने सबसे ज्यादा उग्र रूप तब धारण किया जब 6 दिसंबर 1992 में हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया था। इस घटना के बाद सांप्रदायिक दंगे हुए। वहीं मस्जिद की तोड़-फोड़ की जांच के लिए एम.एस. लिब्रहान आयोग का गठन हुआ। इसके बाद से यह मामला कोर्ट में है।

मंदिर निर्माण की इजाजत
बतादें कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की जो सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी है, यह करीब 132 साल पहले सिविल कोर्ट से शुरू हुई थी। इस विवाद का अदालती सफर 1885 में ही शुरू हो गया। अयोध्या मामले को सबसे पहले निर्मोही अखाड़े के महंत रघुवरदास स्थानीय सिविल कोर्ट लेकर गए थे। यहां उन्होंने अपील दायर करने के साथ कि बाबरी मस्जिद से लगे रामचबूतरा पर मंदिर निर्माण की इजाजत मांगी थी।
अयोध्या विवाद: जानें अब तक क्या हुआ

Posted By: Shweta Mishra