विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक और अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल ने आज मेदांता-द मेडिसिटी अस्पताल में आखिरी सांस ली। 89 साल के अशोक सिंघल को सांस संबंधी परेशानी होने के बाद बीते गुरूवार को अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था। उनके निधन की खबर से हिंदू संगठनों में शोक की लहर दौड़ गई।


2 बजकर 24 मिनट पर
विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक और अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक को बचाने के लिए मेदांता अस्पताल के डॉक्टरों ने अथक प्रयास किया, लेकिन असलफ रहे। आज दोपहर 2 बजकर 24 मिनट पर उनका निधन हो गया। उनके निधन की खबर सुनते ही पूरे विश्व हिंदू परिषद में शोक का माहौल छा गया। अशोक सिंघल को बीते गुरूवार सांस लेने में दिक्कत में हुई थी जिसके बाद उन्हें गुड़गाव के मेंदाता हास्िपटल में भर्ती कराया गया था। जहां पर उपचार के बाद उन्हें उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई थी लेकिन अचानक से दोबारा उनकी तबीयत बिगड़ गई। जिससे तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें शुक्रवार देर रात अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस बीच अशोक सिंघल का हाल चाल लेने के लिए  केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती, हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी समेत कई बड़े नेता पहुंचे थे।एक नई पहचान दिलाई


गौरतलब है कि अशोक सिंघल का जन्म 15 सितंबर 1926 को आगरा में एक कारोबारी परिवार में हुआ था। राम मंदिर आंदोलन में वीएचपी के संरक्षक अशोक सिंघल ने विशेष भूमिका निभाई थी। सिंघल ने ही दुनिया के दूसरे में देशों में विश्व हिंदू परिषद को एक नई पहचान दिलाई। अशोक सिंघल ही थे जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन को हिंदुओं के सम्मान से जोड़ने का साहस जुटाया था। वह शास्त्रीय गायन के भी जानकार थे और इसका विशेष शौक भी था। हिंदू विश्व विद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने वाले सिंघल ने दलितों के साथ भेदभाव और धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए अथक प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने बड़े स्तर पर लड़ाई लड़ी थीं ।

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Posted By: Shweta Mishra