- जुलाई में होने वाली डीजी एएसआई की मीटिंग में खुदाई से पहले तथ्य इकट्ठा करने पहुंचे

- अक्टूबर में किसी यूनिवर्सिटी या एनजीओ को मिल सकती है जिम्मेदारी

GORAKHPUR: गोरखपुर का एतिहासिक महत्व है। यहां जमीन के नीचे कई सदियों के इतिहास दफन है। इसकी तलाश में आर्कियोलॉजिकल टीम कई बार शहर के चक्कर काट चुकी है और जमीन में दफन विरासत को बाहर निकाल रही है। एक बार फिर गोरखपुर के बांसगांव ब्लॉक में इतिहास खंगाला जाएगा। ब्लॉक के तालाडीह गांव के नीलकंठ मंदिर के पास अप्रैल 2016 में आर्कियोलॉजिकल सर्वे की टीम को बौद्ध कालीन अवशेष मिले थे, जिसकी रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। इसकी खुदाई शुरू होने से पहले सोमवार को एएसआई की टीम गोरखपुर पहुंची और पूरे इलाके का सर्वे किया।

अक्टूबर में शुरू हो सकती है खुदाई

तालाडीह की जांच के लिए एएसआई सारनाथ मंडल की टीम गोरखपुर पहुंची। टीम में आर्कियोलॉजिकल सुप्रिटेंडेंट केसी श्रीवास्तव के साथ ही पंकज तिवारी और उनके दूसरे साथियों ने वहां का सर्वे किया। इनटेक गोरखपुर चैप्टर के मेंबर पीके लाहिड़ी ने बताया कि टीम ने सुबह से शाम तक जगह का सर्वे किया। वह यहां से कलेक्ट इंफॉर्मेशन को डीजी एएसआई को सौंपेंगे। इसके बाद जुलाई में एएसआई की होने वाली मीटिंग में खुदाई के लिए किसी यूनिवर्सिटी या एनजीओ को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। अक्टूबर में इसकी खुदाई शुरू हो सकती है।

19 अक्टूबर 15 को भेजा था लेटर

खोदाई के लिए एरिया में पहुंची टीम ने आशंका जताई थी कि यहां पर बौद्ध कालीन चीजें मिलने की चांसेज हैं। इसके लिए इनटेक गोरखपुर चैप्टर के कनवेनर एमपी कंडोई और को-कनवेनर पीके लाहिड़ी ने 19 अक्टूबर को आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को लेटर लिखकर इस बात की जानकारी दी थी। साथ ही तत्कालीन संस्कृति और पर्यटन मंत्री महेश शर्मा को भी इसके लिए लेटर दिया गया था, जिसके बाद एएसआई ने यूपी के जिम्मेदारों को आगे की कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

नौ अप्रैल को हुई थ्ाी खोदाई

एएसआई की टीम ने 9 अप्रैल को खोदाई की। करीब तीन घंटे तक चली खोदाई में दो हजार वर्ष पूर्व से लेकर 14वीं शताब्दी तक के प्राचीन सिक्के, ईट के साथ कई और चीजें मिली थी। इस खोदाई की तस्वीरों को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने प्रमुखता से पब्लिश भी किया था। टीले के नीचे हैं अवशेष टीम की अगुवाई कर रहे राज्य पुरातत्व अधिकारी नरसिंह त्यागी ने बताया था कि प्रारंभिक खोदाई में इस क्षेत्र में 12 बीघे तक फैला एक टीला नजर आया है, जिसकी मौजूदा ऊंचाई सात मीटर है। पहले इसकी ऊंचाई 19 से 21 मीटर रही होगी। इसका करीब 10 से 12 मीटर क्षरण हो चुका है। उन्होंने बताया कि टीले के नीचे तीन कालखंडों की संस्कृति के तमाम अवशेष मौजूद हैं।

पहले भी मिल चुके हैं अवशेष

यह पहला मौका नहीं है जब बांसगांव तालाडीह गांव के नीलकंठ मंदिर परिसर के पास प्राचीन सभ्यता संबंधी अवशेष मिले हो। बल्कि अप्रैल में खोदाई से पहले भी भगवान बुद्ध की ताबें की छोटी मूर्ति और पांच-छह से सिक्के मिले थे। उन्होंने खोदाई के लिए पहुंची टीम को ये मूर्तियां और सिक्के भी दिखाए थे। इतना ही नहीं कुछ साल पहले खेत की जुताई के दौरान भी प्राचीन सिक्के मिले थे जो स्थानीय किसान के पास हैं। राज्य पुरातत्व अधिकारी नरसिंह त्यागी ने कहा कि टीले को काटकर किसान खेती कर रहे हैं, जिससे लगातार इसकी ऊंचाई कम हो रही है। यहां दबी ऐतिहासिक धरोहरे भी बर्बाद हो रही हैं। प्रशासन को तत्काल यहां खेती बंद कराकर इसको सुरक्षित करना चाहिए। जिसके बाद यूपी आर्कियोलॉजिकल सर्वे के डायरेक्टर ने प्रशासन को इस संबंध में लेटर भेजकर खेती बंद कराने के लिए कहा था।

उत्खनन में मिली ये चीजें

तांबे के सिक्के

मूर्तियां

मृदभांड

धान की भूसी की ईट

Posted By: Inextlive