भारत प्रशासित कश्मीर में दो तरह के पंडित रहते हैं। एक पंडित वे हैं जिनका धर्म हिन्दू है और दूसरे पंडित वे हैं जो मुसलमान हैं। ऐसे में सवाल उभरता है कि कश्मीर के कुछ मुसलमान अपने नाम के साथ पंडित टाइटल क्यों लगाते हैं?

गुरुवार रात कश्मीर में जामा मस्जिद के बाहर जिस पुलिस ऑफ़िसर की हत्या हुई उनका नाम अयूब पंडित था।

अक्सर लोगों को यह ग़लतफ़हमी हो जाती है कि कश्मीर में जिन नामों के साथ पंडित लगा है वे हिन्दू हैं। लेकिन ऐसा नहीं है।

कश्मीर में कुछ मुसलमान भी पंडित टाइटल लगाते हैं। ये वे मुसलमान हैं जिन्होंने इस्लाम क़बूल किया है और ब्राह्मण से मुसलमान हो गए।

 

'पंडित होने के मायने'
उन्होंने बीबीसी हिन्दी को बताया, "कश्मीरी पंडितों को हिन्दू नहीं कहते थे, उनको पंडित कहते थे। पंडित का मतलब ब्राह्मण है और ब्राह्मण शिक्षक को भी कहते हैं।"

टेंग बताते हैं कि ये जो मुसलमान पंडित हैं ये कश्मीर के मूल निवासी हैं। ये बाहरी नहीं है। असली कश्मीरी तो ये पंडित ही हैं। हम मुसलमान भट क्यों लिखते हैं क्योंकि हमने धर्म परिवर्तन किया है। पंडित भी बट लिखते हैं।

 

बट का मतलब है पंडित जिसको हम कश्मीरी में बटा कहते हैं यानी कश्मीर का हिन्दू पंडित। इसी तरह पंडितों में पीर भी हैं जबकि पीर मुसलमान अपने साथ जोड़ते हैं।"

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टेंग कहते हैं कि जिन मुसलमानों ने अपने साथ पंडित लगा रखा है वे इस्लाम क़बूल करने से पहले सब से ऊँचा वर्ग था। ये ब्राह्मणों में भी सबसे बड़ा वर्ग था। वह ये भी कहते हैं कि कश्मीर में असल नस्ल पंडित नहीं थी बल्कि जैन थे और बाद में बौद्ध थे। इसके के बाद पंडितों का यहाँ राज हो गया।

टेंग कहते हैं कि दूसरे कश्मीरी मुसलमानों ने उन मुसलमानों पर कोई आपत्ति नहीं जताई जिन्होंने पंडित अपने नाम के साथ जोड़कर रखा है।

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Posted By: Chandramohan Mishra