-चुनाव आयोग ने दोनों को माना निर्दलीय विधायक कांग्रेस से संबद्धता से इन्कार-अब स्पीकर पर सब

-चुनाव आयोग ने दोनों को माना निर्दलीय विधायक, कांग्रेस से संबद्धता से इन्कार

-अब स्पीकर पर सबकी निगाहें टिकीं, बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष की कब देते मान्यता

रांची : भारत निर्वाचन आयोग ने बंधु तिर्की और प्रदीप यादव को कांग्रेस का विधायक मानने से इन्कार कर दिया है। राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर जारी विधायकों की मतदाता सूची में दोनों विधायकों को बतौर निर्दलीय विधायक मान्यता दी गई है। आयोग के इस आदेश से विधानसभा में संख्या बल बढ़ाने की कवायद में जुटी कांग्रेस को जोर का झटका लगा है। विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या फिलहाल 15 है। बेरमो के विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह के असामयिक निधन से एक सीट कम हुई है। उधर चुनाव आयोग के इस कदम के बाद कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व कानूनी मशविरा लेने की तैयारी कर रहा है। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह ने इस बाबत शुक्रवार को संगठन के वरीय पदाधिकारियों संग बातचीत की। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर के मुताबिक दोनों विधायकों ने विधिवत कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है। चुनाव आयोग को तमाम पहलुओं से अवगत कराया जाएगा। विधायक बंधु तिर्की ने भी कहा कि वे फैसले का अध्ययन कर आगे की रणनीति तय करेंगे।

भाजपा का मनोबल बढ़ा

चुनाव आयोग के फैसले से भाजपा का मनोबल बढ़ा है। वैसे भी राज्यसभा चुनाव के पूर्व बाबूलाल मरांडी के झाविमो के भाजपा में विलय को आयोग के स्तर से वैधानिकता मिल चुकी है। आयोग के इस फैसले से बाबूलाल मरांडी को विधिवत भाजपा का विधायक मानने में अड़चन नहीं है लेकिन अंतिम फैसला विधानसभा अध्यक्ष को लेना है। विधानसभा सचिवालय ने झाविमो के विलय को मान्यता नहीं दी है। बहरहाल राज्य में सत्ताधारी झामुमो की सहयोगी कांग्रेस इस निर्णय से जरूर सकते में है। गौरतलब है कि भाजपा में झाविमो के विलय से पूर्व बाबूलाल मरांडी ने दोनों विधायकों प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को निष्कासित कर दिया था। दोनों विधायक भाजपा में विलय के पक्षधर नहीं थे।

मतदाता सूची अलग

राज्यसभा चुनाव के बहाने विधानसभा सचिवालय और चुनाव आयोग की सूची में भिन्नता भी सामने आ गई है। मतदाता सूची को अंतिम रूप देने के पहले चुनाव आयोग ने विधानसभा सचिवालय से विधायकों का ब्यौरा मांगा था। आयोग को भेजी गई सूची में बाबूलाल मरांडी समेत तीनों विधायकों को झाविमो को सदस्य बताया है। उधर चुनाव आयोग से आई सूची के मुताबिक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की निर्दलीय करार दिए गए हैं और बाबूलाल मरांडी के भाजपा के सदस्य बताए गए हैं।

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विस अध्यक्ष का फैसला सर्वोपरि :

पूरे प्रकरण में स्पीकर के फैसले पर सारी निर्भरता है। विधानसभा सचिवालय ने फिलहाल बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को झाविमो का ही सदस्य माना है। इससे पूर्व विधानसभा के सदस्यों की चुनाव आयोग को प्रेषित सूची में भी तीनों झाविमो के सदस्य ही बताए गए थे। विधानसभा में बाबूलाल मरांडी की मान्यता के सवाल पर भाजपा आरंभ से दबाव बना रही है। संविधान की दसवीं अनुसूची के मुताबिक इससे संबंधित सारे अधिकार विधानसभा अध्यक्ष में निहित हैं। अब ऐसे में आयोग की सूची के अनुरूप स्पीकर बाबूलाल पर क्या फैसला लेते हैं इस पर सबकी निगाहें हैं।

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कोर्ट के फैसले को नहीं माना था स्पीकर ने

झारखंड गठन के बाद विधायकों की मान्यता का पहला मामला पांकी विधानसभा क्षेत्र का था। चुनाव में कुछ वोटों के अंतर से मधु सिंह जीते, जिसे विदेश सिंह ने चुनौती दी थी। उधर मधु सिंह मंत्री बन गए और विदेश सिंह ने कोर्ट की शरण ली। फैसला उनके पक्ष में आया लेकिन तत्कालीन स्पीकर मृगेंद्र प्रताप सिंह ने उनकी सदस्यता की इजाजत नहीं दी। अलबत्ता विधानसभा की अवधि समाप्त होने के ठीक पहले उन्होंने मधु सिंह के खिलाफ निर्णय किया था।

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Posted By: Inextlive