इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि फ़लस्तीनियों को यह सच्चाई स्वीकार कर लेनी चाहिए कि यरूशलम ही इसराइल की राजधानी है। उनके ऐसा मानने के बाद ही शांति की ओर बढ़ा जा सकता है।


नेतन्याहू ने कहा कि यरूशलम पिछले 3000 साल से इसराइल की राजधानी है और यह "कभी किसी और की राजधानी नहीं रही है"।अमरीका के यरूशलम को इसराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के बाद मुस्लिम और अरब देशों में हो रहे प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने ऐसा कहा है।रविवार को लेबनान में अमेरिकी दूतावास के पास और कई अन्य जगहों पर हिंसा भड़की।ट्रंप के फ़ैसले का विरोधउधर, अमरीकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने फ़लस्तीनी अधिकारियों के फ़ैसले की कड़ी निंदा की है। और फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के आगामी यात्रा के दौरान उनसे ना मिलने के फ़ैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।अमरीका के फैसले के बाद मिस्र में देश के शीर्ष मुस्लिम और ईसाई मौलवियों ने भी पेंस के साथ अपनी मुलाकात टाल दी है।


बीते बुधवार को अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अपनी घोषणा में कहा था कि अमरीका यरूशलम को इसराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देता है।यरूशलम, ख़ासकर इसके पूर्वी हिस्से में यहूदी, इस्लाम और ईसाई धर्म के पवित्र धार्मिक स्थल हैं।यरूशलम पर अपने-अपने दावेइसराइल यरूशलम को अपनी राजधानी मानता रहा है। वहीं फ़लस्तीन भी अपना दावा करता है।

पूर्वी यरूशलम पर 1967 के युद्ध में इसराइल ने कब्ज़ा कर लिया था।ट्रंप ने बीते बुधवार को अमरीकी दूतावास को तेल अवीव से यरूशलम लाने को मंजूरी दे दी थी।राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि इस क़दम का लंबे समय से इंतज़ार था और इससे मध्य पूर्व में शांति प्रक्रिया तेज़ होगी और टिकाऊ समझौते का मार्ग प्रशस्त होगा।ट्रंप की इस घोषणा से पहले फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के एक प्रवक्ता ने चेतावनी दी थी कि इस क़दम के ख़तरनाक परिणाम हो सकते हैं।फ़लस्तीनियों ने इस फैसले को मौत को गले लगाने जैसा बताया है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh