-कोर्ट कैंपस में बेटी बचाने के लिए एडवोकेट्स ने ली शपथ

ALLAHABAD: आई नेक्स्ट के बेटी बचाओ कैंपेन में शनिवार को कचहरी के वकील भी शामिल हो गए। आई नेक्स्ट न्यूज पेपर से इनिसिएटिव लेते हुए वह भी मुहिम का हिस्सा बन गए। शनिवार को कोर्ट में उन्होंने बेटी बचाओ अभियान के लिए शपथ ली। इस शपथ ग्रहण में लेडीज एडवोकेट भी शामिल रहीं। सभी ने आई नेक्स्ट के इस कदम को सराहा। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अगर हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगे, बेटियों की इज्जत करने लगे तो सभी समस्याओं का समाधान अपने आप हो जाएगा।

बेटी बचाने का लिया संकल्प

करेली के रहने वाले एडवोकेट एस ए नसीम उर्फ गुड्डू अपने साथियों एडवोकेट के साथ आई नेक्स्ट के इस अभियान में आए आए। उन्होंने अपने सैकड़ों साथियों के साथ फैमिली कोर्ट के सामने शपथ ली। बेटी बचाओ अभियान के बारे में एडवोकेट ने कहा कि हमारे समाज में शुरू से ही बेटियों को देवी का दर्जा दिया गया है। लेकिन उसके बाद भी उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। इस दर्द को एडवोकेट से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता। एडवोकेट के पास डेली ही ऐसी न जाने कितनी युवतियां और महिलाएं आती हैं जो अपने परिवार की सताई होती हैं। उनकी दर्द भरी कहानी सुनकर आक्रोश तो आता है लेकिन वे सीधे तौर पर कुछ नहीं कर पाते।

बढ़ रहे उत्पीड़न के मामले

एडवोकेट्स ने कहा फैमिली कोर्ट में उत्पीड़न के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अब समय आ चुका है। हम सभी लोगों को जागना होगा। यह हमारे लिए चिन्ता का विषय है कि जिस देश के वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर फतह कर चुके हैं, उन्हें अपने देश की लड़कियों के लिए बचाने का अभियान चलाना पड़ रहा है। महिला एडवोकेट्स ने भी इस बात पर चिन्ता व्यक्त की। इस अभियान में एडवोकेट एसए नसीम, वासी अहमद, अरविन्द कुमार, सौरभ कुशवाहा, विद्या भूषण, अली अहमद, एमएस लतिका, सीमा साहू, सतेन्द्र, एमए महिद, सतीश कुमार, फैजल, सलीम उद्दीन आदि शामिल रहे।

वर्जन

बेटी से घर की रौनक है। मुझे भी गर्व है कि मैं एक बेटी का पिता हूं। अल्लाह ने शायद इसीलिए अपने पैगंबर मोहम्मद साहब को बेटे नहीं बल्कि चार बेटियां दी थी। हमें भी बेटियों की सुरक्षा का संकल्प लेना चाहिए। अगर बेटी नहीं होगी तो दुनिया खत्म हो जाएगी।

एडवोकेट नसीम

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बेटी बचाओ अभियान में हम तभी सफल हो सकते हैं जब भ्रूण हत्या को रोकें। हॉस्पिटल में आज भी खुलेआम पैसे के बल पर लिंग परीक्षण होता है और लड़कियों को मार दिया जाता। हमें इसके लिए मानसिकता बदलनी होगी।

एडवोकेट पंकज त्रिपाठी

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इसके लिए लोगों को जागरुकता लानी होगी। बिना जागरुकता लाए यह संभव नहीं है। आई नेक्स्ट के इस अभियान से लोग जरूर अवेयर होंगे। उन्हें पता चल रहा होगा कि लड़का और लड़की में कोई फर्क नहीं है।

एडवोकेट अभिषेक मिश्रा

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हर इंसान की सोच बदलनी होगी। सिर्फ सोच का अंतर है। बेटी और बेटे में कोई फर्क नहीं है। आई नेक्स्ट के इस अभियान से निश्चित ही लोगों की मानसिकता बदलेगी। अगर ऐसा हो गया तो फिर बेटियों को बचाने के लिए किसी अभियान की जरूरत नहीं।

एडवोकेट विवेक मिश्रा

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बेटी से सब कुछ है। जिस घर में बेटी नहीं है उस घर में कुछ नहीं है। बेटी है तो जन्नत है। घर को जन्नत बनाना है तो अपनी बेटियों को बचाना ही होगा।

एडवोकेट कौशल पाण्डेय

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बिना बेटियों के संसार की कल्पना ही नहीं की जा सकती। बेटी है तो सब कुछ है। बेटी बचाने के लिए अभियान में हम सभी लोग शामिल है।

एडवोकेट आनंद मिश्रा

Posted By: Inextlive