-परंपरा पर अध्ययन के लिए बनेगा सेंटर, जीवन के हर परंपरागत पहलू पर होगा रिसर्च

-सेंटर में हुए रिसर्च के जरिये लोगों को सुझायेंगे बेहतर जीवन जीने की राह

VARANASI: बीएचयू की स्थापना के पीछे महामना की सोच न केवल पढ़े लिखों की फौज तैयार करना था। महामना ऐसे नागरिक तैयार करना चाहते थे जो देश की समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक परंपरा के पोषक के रूप में भी खुद को स्थापित कर सकें। उनके इसी महान सोच को बीएचयू हकीकत में बदलने का प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में एक नई पहल की जा रही है। जी हां, बीएचयू में भारतीय परंपरा की पढ़ाई शुरू करने की योजना है। इसके लिए एक सेंटर बनाने की तैयारी है जहां परंपरागत भारतीय ज्ञान-विज्ञान यानी लोक विद्या के संरक्षण व संवर्धन के लिए रणनीति बनायी जायेगी।

ताकि लोगों तक पहुंचे लाभ

कोई परंपरा ऐसे ही नहीं बनी। किसी विषय पर गंभीर सोच जो समय की कसौटी पर निरंतर कसे जाने के बाद परंपरा का रूप लेती है। इस परंपरा में ज्ञान व विज्ञान दोनों ही निहित हैं। इसका लाभ लोगों तक पहुंचाने और रिसर्च के जरिये लोगो को बेहतर जीवन की राह सुझाने में यह सेंटर कारगर सिद्ध होगा। बीएचयू के वीसी प्रो। गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने इस सेंटर को शुरू करने की योजना सजायी है। उनका मनाना है कि हमारी परंपराओं में ज्ञान का अकूत भंडार है, इसका लाभ लोगों तक पहुंचना चाहिए।

हर विषय पर होगा रिसर्च

प्रस्तावित सेंटर में परंपरा के औपचारिक और अनौपचारिक ज्ञान दोनों पर ही गहन रिसर्च किया जायेगा। इसके तहत हमारी समाजिक परंपरागत चीजें, औद्योगिक परंपरागत चीजें, मेडिकल फील्ड में परंपरागत व्यवहार, परंपरागत संगीत, परंपरागत विज्ञान, परंपरागत ज्ञान सभी चीजों पर अलग अलग अध्ययन कर इनकी अच्छाइयों का विश्लेषण कर निष्कर्ष निकाला जायेगा। यही निष्कर्ष लोगों को बेहतर जीवन जीने की राह सुझायेगा। महामना पं। मदन मोहन मालवीय ने नवीन और पुरातन ज्ञान विज्ञान के समन्वय की बात कही थी। यह सेंटर महामना की इस सोच को और भी पुष्ट करेगा।

Posted By: Inextlive