- आज आयुर्वेदिक डॉक्टर्स सरकार को सौंपेगे मांग पत्र

- आई नेक्स्ट ने प्रमुखता से आयुर्वेदिक कॉलेज की मान्यता को उठाया

PATNA: बिहार में पहले ही चार आयुर्वेदिक कॉलेज बंद हो चुके हैं। अब पटना के कदमकुंआ स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज पर भी मान्यता का संकट मंडरा रहा है। इससे बिहार के सैंकड़ों स्टूडेंट का भविष्य अधर में लटका है। इसी कन्सर्न को लेकर अब बिहार के आयुर्वेदिक डॉक्टर्स बिहार आयुर्वेदिक डॉक्टर्स एसोसिएशन के बैनर तले रविवार को कदमकुंआ स्थित आयुर्वेदिक कॉलेज कैंपस में बैठक करेंगे। इस बारे में एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी पवन कुमार ने बताया कि इसका मकसद बिहार में बदहाल होकर बंद हो चुके आयुर्वेदिक कॉलेज को फिर से चालू कराने और इससे जुड़ी तमाम समस्याओं का अविलंब हल निकालना है।

सरकार को सौंपेंगे मांग पत्र

पिछले क्0-क्भ् वर्षों में जहां बिहार में अंगे्रजी चिकित्सा पद्धति और उसका कारोबार तेजी से फला-फूला है वहीं, आयुर्वेदिक कॉलेज में इसकी स्थिति ठीक उलट है। सरकारी उपेक्षा के कारण बेगूसराय, मुजफ्फरपुर तथा अन्य दो आयुर्वेदिक कॉलेज बंद हो गए। इसके बाद पटना स्थित बिहार के सबसे पुराने आयुर्वेदिक कॉलेज की मान्यता भी संकट में है। इस बारे में एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ सुशील कुमार ने बताया कि अगर मान्यता नहीं रहेगी तो सैंकड़ों स्टूडेंटस का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। इसलिए इसमें मौजूद कमियों को जल्दी से दूर करने के लिए सरकार से गुहार लगाएंगे।

आखिर किस काम की पढ़ाई

जहां एमबीबीएस डॉक्टरों की कैंपस प्लेसमेंट होती है या समय-समय पर इंटरव्यू एवं किसी माध्यम से जॉब की जानकारी मिलती है। लेकिन आयुर्वेद की पढ़ाई करने वालों को जॉब पाने में पापड़ बेलने पड़ते हैं। डॉ पवन ने बताया कि छह साल पहले एनआरएचएम में आयुर्वेदिक डॉक्टरों की बहाली के बाद अब राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए जॉब आयी। ऐसे में आयुर्वेद के स्टूडेंट्स को जॉब की परेशानी का सामना करना पड़ता है। सरकार को इसके लिए समुचित तरीके से ध्यान दिया जाना चाहिए।

बाक्स आइटम

मांग पत्र में शामिल मुद्दे

- बंद पड़े आयुर्वेदिक कॉलेज को चालू करना

- मान्यता का संकट झेल रहे कॉलेज की स्थिति सुधारना

-हर आयुर्वेदिक कॉलेज में शैक्षणिक सत्र में देरी की स्थिति से निपटना

- जॉब के संबंध में उत्पन्न अड़चनों को दूर करना

Posted By: Inextlive