PATNA: बिहार आपदा का सामना हर वर्ष करता है। इसके उत्तरी जिले प्राय: बाढ़ और भूकंप का सामना करने को मजबूर हैं। क्योंकि उत्तरी जिले सिस्मिक जोन पांच में आता है, जो अति संवेदनशील क्षेत्र हैं। बीते वर्ष मार्च में और अभी दो दिन पहले आए भूकंप हमेशा इस बात की ओर इशारा करते हैं कि यदि इसके प्रति अवेयरनेस हो तो इससे होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है। इसी बात को ध्यान में रहते हुए भूकंप के लिए अतिसंवेदनशील जिलों में अर्थक्वेक स्टडी सेंटर की स्थापना की जाएगी। इसकी पुष्टि करते हुए बिहार डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के वाइस प्रेसिडेंट अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि भले ही भूकंप की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है लेकिन जब यह आपदा आए तो उससे कैसे निपटे की नुकसान कम से कम हो, यह सब जागरूकता से ही संभव है।

बाक्स में

अर्थ क्वेक स्टडी सेंटर में जानेंगे

- रूम का लाइव डेमो का मॉडल

- जब भूकंप आए तो क्या करें

- पोस्टर , चार्ट, ड्राइंग और अन्य माध्यमों से भूकंप के असर को बताना

- सेफ बिल्डिंग कौन सा है, कैसे बनाएं अर्थ क्वेक रेसिस्टेंट

- यदि किसी का घर कमजोर हो, कोई हिस्सा कमजोर हो, तो क्या उपाय करें, मिलेगी एक्सपर्ट से राय

अति संवेदनशील जिलों में बनेगा स्टडी सेंटर

जिन उत्तरी जिलों को अति संवेदनशील श्रेणी में रखे गया है, वे हैं मधेपुरा, सुपौल, किशनगंज, मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी तथा शिवहर एवं पूर्णिया जिले के कुछ हिस्से। फिलहाल पटना में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एक अर्थक्वेक स्टडी सेंटर की स्थापना की गई है।

नहीं कोई मानता है बिल्डिंग कोड

जानकारी हो कि हर बिल्डिंग के निर्माण के समय ही कुछ कोड बनाए गए हैं। इसका उद्ेश्य है पब्लिक हेल्थ, सेफ्टी तथा एनवायरमेंटल सेफ्टी आदि को महत्व देना। लेकिन बिहार में यह सिर्फ चर्चा भर है, इसके लिए कभी भी समुचित तरीके से ध्यान ही नहीं दिया जाता है। यही वजह है कि संस्थान के बिल्डिंग या निजी बिल्डिंग भूकंप-रोधी हैं या नहीं इसकी जानकारी न तो सरकारी एजेंसी के पास है और न ही अन्य किसी संबंधित विभाग के पास। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए इनफोर्समेंट सबसे जरूरी है।

Posted By: Inextlive