-किराएदारों को घर से निकलने को मजबूर कर रहे मकान मालिक, सड़क पर भटकने की मजबूरी

PATNA: कोरोनावायरस के खतरे को कम करने के लिए पटना सहित पूरा बिहार लॉकडाउन है। लॉकडाउन से पटना की सड़कों पर सन्नाटा पसरा है, लेकिन इस सन्नाटे के बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जो मजबूर होकर रोटी, कपड़ा और मकान के लिए सड़क पर भटकने को विवश हैं। लॉकडाउन का पालन कराने के लिए सड़क पर मौजूद पुलिस भी इनकी पीड़ा को सुनने का समय नहीं दे रही है। हालांकि ऐसे असहाय लोगों के लिए प्रशासन की ओर से रहने-खाने की व्यवस्था तो की गई है, लेकिन लोग किसी रैन बसेरे में नहीं बल्कि सीधे अपने गांव-घर जाना चाहते हैं। आखिर ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि ये लोग घर जाने को मजबूर हो रहे हैं जबकि सरकार और प्रशासन की ओर से ऐसे लोगों के लिए इंतजाम किए गए है। इस सवाल का जवाब जानने के लिए इन लोगों से डीजे आई नेक्स्ट की रिपोर्टर ने बात की। जो बात सामने आई वह काफी चौंकाने वाली थी।

मकान मालिक ने निकाला

फुलवारी में ही रहने वाले यह लोग कई सालों से ईट भट्ठे में काम कर रहे थे। कोरोना वायरसके संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन के आदेश के बाद भट्ठा बंद हो जाने के बाद रोजगार छिन गया। पैसे की तंगी के कारण मकान का किराया देने में असमर्थ थो तो मकान मालिक ने मकान पर ताला लगा दिया। पैसे की कमी के बीच अब अपने घर को छोड़कर और कुछ याद नहीं आता।

घर का ही है आसरा

साजिदा कहती है कि शादी के बाद यहां पति के साथ आई थी। पति जिस फैक्ट्री में काम करते थे वह बंद हो चुका है। ऐसे में हमारे घर खाने के भी लाले पड़ गए। मकान मालिक की बेरुखी से सड़क पर आ गए हैं। ऐसे में बच्चों को कितने दिनों तक भूखा रखूंगी। इसलिए हमने सीधा अपने घर जाने का इरादा कर लिया है।

हर रोज हो रहा है पलायन

पटना से गया, भागलपुर, सहरसा, खगडि़या समेत कई जिलों में लोग पलायन कर रहे हैं । प्रतिदिन फुलवारी बाईपास और अनिसाबाद इलाकों में यह पैदल अपनी मंजिल की ओर जाते नजर आते हैं। मंजिल तक यह पहुंच पाएंगे या नहीं इन्हें भी नहीं पता, लेकिन निराश और मजबूर हो चुके लोगों को अब कोई और रास्ता नहीं सूझ रहा। बाईपास फुलवारी मेन रोड पर रविवार की दोपहर हाथ में कुछ कपड़े और छोटे-छोटे बच्चों के साथ सड़कों पर भटक रहे इन लोगों से डीजे आईनेक्स्ट की रिपोर्टर ने बात की तो इनका दर्द इनकी आंखों में झलक आया। इन लोगों ने बताया कि सालों से हम पटना में रह कर काम कर रहे हैं। जब मुसीबत आई है तो कोई देखने वाला नहीं है। जिस मकान में किराए पर रहते थे, उसके मालिक ने भी निकाल दिया है। मकान मालिक की बेरुखी से बेघर हुए ये लोग अब किसी रैन बसेरे में नहीं सीधे अपने घर भागलपुर जाना चाहते हैं।

कोरोना का नहीं है डर

फुलवारी के ईशोपुर में किराए पर रह रहे नूर हसन कहते हैं कि 2 दिनों से भूखा हूं। सुना था कि प्रशासन की तरफ से हमारे रहने खाने की व्यवस्था की गई है। पर मुझे कुछ भी नहीं मिला। परिवार में 6 सदस्य हैं जिनमें दो छोटे-छोटे बच्चे हैं। यह सभी भूख से बेहाल हो चुके हैं। ऐसे में जो भी जमा-पूंजी थी उससे अपने घर पहुंचने की तैयारी में लगा हूं। भागलपुर के लिए कोई गाड़ी नहीं मिली तो पैदल ही यह सफर तय करेंगे। बच्चों की भूख के आगे कोरोना बीमारी का डर नहीं सता रहा है अब रास्ते में जो होना है वह हो वह होगा।

भेजा पटना हाई स्कूल

घर के लिए जाने को बेचैन हो रहे इन लोगों को डीजे आई नेक्स्ट और पुलिस की टीम ने लॉकडाउन की इस स्थिति को लेकर काफी समझाया। काफी देर उलझन में दिखने के बाद आखिरकार ये लोग माने। इसके बाद इन लोगों को पटना हाई स्कूल के कम्युनिटी किचन में भेजा गया जहां न सिर्फ इनको खाना उपल?ध कराया गया बल्कि इनके रहने का भी इंतजाम किया गया।

पूछते ही आंखो में झलका दर्द

हाथ में कुछ कपड़े और छोटे-छोटे बच्चों के साथ सड़कों पर भटक रहे इन लोगों से डीजे आईनेक्स्ट की रिपोर्टर ने बात की तो इनका दर्द इनकी आंखों में झलक आया। ये लोग अपने घर भागलपुर जाना चाह रहे थे। काफी समझाने और सरकार की ओर से मिल रही मदद के बारे में बताने के बाद इन लोगों को थोड़ी आस जगी और प्रशासन के साथ ये लोग रैन बसेरे में गए।

Posted By: Inextlive