अभी यह हाल, तो कुछ साल बाद क्या होगा?
प्रेजेंट सिचुएशन ही संभल नहीं रही ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि क्या हमारे लीडर्स, ऑफिसर्स और प्लानर्स के पास 50 साल बाद की सिटी के लिए कोई प्लानिंग है। हालांकि हालात ऐसे हो चुके हैं कि बहुत आगे जाना तो दूर प्रेजेंट सिचुएशन ही संभल नहीं रही है। मगर वक्त है कि यह तय कर लें कि क्या बढ़ता पॉपुलेशन ही प्रॉब्लम है या अवेलेबल रिर्सोसेज के आधार पर प्लानिंग और डेवलपमेंट की कमी? No basic infrastructure
राजधानी पटना का पॉपुलेशन 2001 में 47,18,592 से बढ़कर 2011 में 58,38,465 हो गया है। सिटी में कहीं भी निकल जाएं हर जगह पॉपुलेशन के बढ़ते प्रेशर के कारण रोड पर ब्लॉक की स्थिति है। क्योंकि पॉपुलेशन के अकार्डिंग सिटी में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर तक अवेलेबल नहीं है। इनक्रोचमेंट के कारण फुटपाथ की भी जगह नहीं बची है। गड्ढ़ों वाले रोड, ड्रेनेज और सीवरेज की कमी रही-सही कसर पूरी कर देती है। 40 सालों से no planning
कैपिटल सिटी पटना की 1962 के बाद कोई टाउन प्लानिंग नहीं हुई। सिटी के मास्टर प्लान नहीं होने की सूरत में, जिसे जहां समझ आया बिल्डिंग बनाई। सिटी में बिल्डिंग बाई-लॉज को वॉयलेट कर हाईराइज अपार्टमेंट बनते रहे। जबकि पटना डिजास्टर प्रोन एरिया में आता है। यहां फ्लड के साथ अर्थक्वेक सेंसिटिव जोन में आता है। मेट्रो सिटी बनने का सपना देखनेवाले सिटी में हर जगह स्टिंक करते कचरे को डिस्पोज करने की प्लानिंग सालों से अधर में लटकी है। नहीं है foresightएएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ। डीएम दिवाकर बताते हैं कि अभी बिहार में 10 करोड़ की पॉपुलेशन बेसिक फैसिलिटीज से जूझ रही है तो 2050 की कंडीशन का अंदाजा लगाना मुश्किल है। रिसर्च के मुताबिक 2050 तक बिहार की पॉपुलेशन 20 करोड़ तक होगी। उन्होंने बताया कि अगर ज्यादा से ज्यादा लोगों की डेवलपमेंट में भागीदारी बढ़ेगी तो हेल्थ, एजुकेशन और इम्प्लॉयमेंट में उनकी पहुंच बढ़ेगी और उनकी क्वालिटी ऑफ लाइफ डेफिनिटली बेहतर होगी। प्रॉब्लम पॉपुलेशन कम करना नहीं है बल्कि अवेलेबल ह्यूमन रिसोर्सेज को कैसे स्टेट डेवलपमेंट के लिए यूज करना जरूरी है।आगे की planning जरूरी
हाल ही में नोटेड आर्थर अनुपम मिश्र ने पटना विजिट के दौरान कहा था कि फ्यूचर जेनरेशन को ध्यान में रखकर प्लानिंग होनी चाहिए। अगर आज बिजली जीवन के लिए जरूरी है तो यह आपके आनेवाली पीढिय़ों के लिए भी जरूरी होगी। ऐसे में अगर सारा कोयला अभी ही निकाल लेंगें तो नेक्स्ट जेनरेशन क्या करेगी? उन्होंने कहा कि 100 साल बाद हमारे नेक्स्ट जेनरेशन की लाइफ कैसी होगी, इसपर काम करने के लिए इंस्टीट्यूट होना चाहिए। वहीं सोशल वर्कर रंजीव कुमार कहते हैं कि यह वाकई शर्मनाक है कि कैपिटल में आज तक बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर भी अवेलेबल नहीं है। सिटी में जगह-जगह बस स्टॉप बने हैं मगर सिटी बस ही नहीं है। 2011 2001Population 5,838,465 4,718,592Male 3,078,512 2,519,942Female 2,759,953 2,198,650Population Growth 23.73% 30.17%Area Sq। Km 3,202 3,202 Density/km2 1,823 1,474