शादी-विवाह, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य शुरू

PATNA :

हरि प्रबोधिनी यानी देवोत्थान एकादशी के मौके पर बुधवार को श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना कर तुलसी व शालिग्राम का विवाह कराया। पुराणों में इसे भगवान विष्णु व लक्ष्मी के विवाह के रूप में जाना जाता है। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। गंगा स्नान के लिए सुबह से ही गायघाट, भद्र घाट, खाजेकलां घाट, नौजर घाट, महावीर घाट, कंगन घाट, किला रोड घाट समेत अन्य गंगा घाटों पर लोगों की भीड़ स्नान के लिए जुटी थी।

ईख के मंडप में तुलसी विवाह

श्रद्धालुओं ने दिन भर निराहार रहकर एकादशी का व्रत रखा। वहीं वैष्णव मंदिरों में भी सुबह से ही धार्मिक अनुष्ठान का दौर चलता रहा। शाम में तुलसी जी के पौधे का गमला, गेरू से सजाकर उसके चारों ओर ईख का मंडप बनाकर सुहाग का प्रतीक चुनरी ओढ़ाया गया। इसके बाद शालिग्राम व तुलसी जी की पूजा की गई। भगवान शालिग्राम की मूर्ति को हाथ में लेकर भक्तगणों ने तुलसी जी की सात बार परिक्रमा मंडप में कीच् मंत्रोच्चारण के बीच देवउठान किया। कई जगहों पर शहनाई व बाजे बजाए गए। इस दौरान शकरकंद, सुथनी, फल, मेवा का भोग लगाया गया। विवाह के पश्चात श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर व्रत तोड़ा।

- क्या है मान्यता

ज्योतिषाचार्यो की मानें तो शालिग्राम व तुलसी जी के विवाह को कर्मकांड के ग्रंथों में दांपत्य सुख-सौभाग्य दायक अनुष्ठान कहा गया है। यदि किसी लड़की के जन्म कुंडली में मंगल दोष हो तो उससे तुलसी विवाह करवाना चाहिए। तुलसी विवाह में भक्ति-भाव से सम्मिलित होने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

काíतक शुक्ल एकादशी बुधवार को भगवान नारायण के निंद्रा से जागृत होते ही सनातन धर्मावलंबियों से शुभ मांगलिक कार्य आरंभ हो गए। चतुर्मास के दौरान हिंदुओ के सभी मांगलिक कार्य शादी-विवाह, जनेऊ, मुंडन तथा अन्य शुभ कृत्य बंद थे, जो देवोत्थान एकादशी से शुरू हो गए हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है। रवि गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभफलदायी होते हैं। इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है।

25 से ही बन रहे शुभ योग

ज्योतिषाचार्य राकेश झा ने बताया कि काíतक शुक्ल एकादशी बुधवार 25 नवंबर को देवोत्थान एकादशी से चातुर्मास खत्म होते ही हिन्दुओं के सभी शुभ कार्य आरंभ हो गए। 25 नवंबर से लेकर 13 दिसंबर तक बनारसी पंचांग के मुताबिक 10 वहीं मिथिला पंचाग के अनुसार नवंबर में एक ही वैवाहिक लग्न है तथा दिसंबर मास में सिर्फ 05 शुभ वैवाहिक लग्न मुहूर्त है।

इस वर्ष के वैवाहिक शुभ मुहूर्त

बनारसी पंचाग (महावीर पंचाग) के अनुसार

नवंबर : 25, 30

दिसंबर : 1,2,3,6,7,8,9,11,13

मिथिला पंचाग (विश्वविद्यालय पंचांग) के मुताबिक

दिसंबर: 6,7,10,11,14

Posted By: Inextlive