PATNA: इस दिनों गंगा समेत अन्य सहायक नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। पटना गंगा के किनारे बसा शहर है। लेकिन अन्य शहर जो गंगा के किनारे बसे हैं, पटना की स्थिति थोड़ी अलग है। यहां गंगा का जलस्तर यदि लगातार बढ़ भी गया तो यहां शहर को इससे खतरा नहीं होगा। इसके पीछे दो बडे़ कारण हैं। एक तो यह पटना मुख्य शहर के पास के तटों तक पहुंचते ही वहां से उत्तर की ओर लगातार शिफ्ट हो रही है। यह ट्रेंड लगातार जारी है। पूरे प्रदेश में पटना में मानसून इस बार ज्यादा मेहरबान है और यहां अब तक यहां सामान्य से 115 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। इस कारण गंगा और इसकी सहायक नदियों में जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।

इन कारणों से बढ़ी शहर से दूरी

बीते करीब तीन दशकों में पटना मुख्य शहर और इसके आस-पास यह दक्षिणवर्ती यानि दक्षिण की ओर बहाव हो चुका है। यानि यह शहर से हटकर दूसरी ओर तेज प्रवाह में हैं। यदि इसका जलस्तर बढ़ा भी तो यह शहर के संपर्क इलाकों को नुकसान नहीं होगा। गंगा विषय के बडे़ जानकार और सीनियर ज्योग्राफर डॉ डीपी सिंह ने बताया कि यह तो एक कारण है। इसके साथ ही इसके दक्षिणी छोर यानि शहर के पास कूड़ा -कचरा डाले जाने से भी यह उत्तर की ओर बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि मुख्य शहर के पास करीब आठ किलोमीटर का गंगा का पाट है। गंगा अशोक राजपथ के पास आगे बढ़ते हुए दोनों ओर प्राकृतिक तटबंध बनाती है।

आबादी का भी असर

भारी बारिश के बाद गंगा की सहायक नदियों में भी जलस्तर बढ़ा हुआ है। यह भी गंगा के प्रवाह में अपना योगदान रखता है। सोन नदी हल्दी छपरा के पास गंगा के पास मिलता है। यह भी मिलने के साथ ही इसे उत्तर की ओर प्रवाह के लिए धकेलता है। डॉ डीपी सिंह ने यह भी बताया कि दीघा से लेकर अशोक राजपथ तक कई नालों से यहां मलवा गिरता है। उन्होंने बताया कि बढ़ती आबादी का भी असर है। 1971 में दो लाख, 2011 में 20 लाख और 2021 तक 30 लाख आबादी होने की संभावना है। जबकि नदी का क्षेत्र वही है। ऐसे में बहुत अधिक कचरा इसमें प्रवाहित होने से इसके प्रवाह पर असर पड़ रहा है।

Posted By: Inextlive