PATNA: यह तस्वीर किसी गांव की नहीं और ना ही किसी छोटे शहर की है. यह तस्वीर है राजधानी पटना की. और सुनिए. यह बस किसी निजी ऑपरेटर की नहीं है. यह बस है बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की. यानि सरकारी बस. राजधानी के मीठापुर बस अड्डे से यह बस दोपहर करीब 2 बजे खुलती है. मुजफ्फरपुर और सीतामढ़ी जाने के लिए सवार हुए इन लोगों को रोकने वाला शायद कोई नहीं. ड्राइवर और खलासी को शायद इस बात का इंतजार है कि परिवहन विभाग के अधिकारी आकर इन्हें रोके और इनसे जुर्माना वसूल करे. हालांकि इस अपराध के लिए इस बस का परमिट भी रद्द हो सकता है.

 

 

जागरूक करने की जरूरत

इस बारे में लोगों का कहना है कि ये यात्री जानबूझकर ऊपर बैठते हैं और लाख समझाने पर भी बस की सीट पर नहीं बैठते। इससे ड्राइवर और खलासी से लेकर टिकट काटने वाले की भी अच्छी कमाई हो जाती है। लेकिन इस कमाई और लापरवाही से किसी भी बड़ा हादसा हो सकता है। हर दिन हो रहे सड़क हादसों के बावजूद ऐसी लापरवाही बरतने को क्या कहा जाए।

क्या कहते हैं नियम

ड्राइवर और खलासी के साथ बस मालिक के खिलाफ हो सकता है जुर्माना, बस का परमिट भी हो सकता है रद्द

कोट

बस की छत पर यात्रियों का चढऩा प्रतिबंधित है। ओवरलोडिंग के साथ ये यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ भी है। इस मामले की जांच होगी और गलती पाए जाने पर जुर्माने के साथ बस का परमिट भी रद्द हो सकता है-

-सुरेन्द्र झा, जिला परिवहन पदाधिकारी

Posted By: Inextlive