- पाटलिवृक्ष के नाम पर पड़ा पाटलिपुत्रा, बाद में पटना में तब्दील

PATNA: राजधानी पटना की पहचान के रूप में जाना जाने वाला वर्षो पुराना 'पाटलिवृक्ष' का अस्तित्व इन दिनों खतरे में है। देखरेख के अभाव के कारण पटना संग्रहालय के परिसर में लगे इस वृक्ष पर संकट के बादल छाए हुए हैं। आलम यह है कि यहां वृक्ष को दीमक खा रहा है और राज्य सरकार के पुरातत्व विभाग से लेकर संग्रहालय के अधिकारी तक सोए हुए हैं। पुरातत्ववेता की मानें तो अगर समय रहते इसका संरक्षण नहीं किया गया, तो राजधानी की यह पहचान सदा के लिए गुम हो जाएगी।

पाटलिवृक्ष के नाम पर पड़ा पटना

इतिहासकार बताते हैं कि पाटलिपुत्रा नाम पाटलि वृक्ष के कारण ही पड़ा है। बाद में इसे परिवर्तित कर पटना कर दिया गया। इतिहासकारों का मानना है कि अभी भी पटना को काफी लोग पाटलिपुत्रा के नाम से ही जानते हैं।

शहर के दूसरे पाटलिवृक्ष इसी की देन

पुरातत्ववेता के मुताबिक अजातशत्रु के समय में शहर के ज्यादातर जगहों पर पाटलि वृक्ष का जंगल हुआ करता था। समय के साथ व शहर बढ़ने के कारण सारे पाटलिवृक्ष काट दिए गए। पटना संग्रहालय में लगा यह पेड़ उस समय की निशानी है। जिसके बीज से बाद में शहर के अन्य जगहों पर पाटलिवृक्ष लगाया गया। पटना जू, पाटलिपुत्रा कॉलोनी और पटना सिटी सहित शहर में कुछ जगहों पर पाटलिवृक्ष आज भी हैं, लेकिन सबसे पुराना पाटलिवृक्ष संग्रहालय में ही लगा है। इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा बुद्धा स्मृति पार्क में भी पाटलिवृक्ष लगाया गया है।

पाटलिवृक्ष की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए संग्रहालय प्रशासन समय-समय पर दीमक से बचाव के लिए वृक्ष पर स्प्रे करवाती है। दीमक लगना स्वभाविक बात है।

- डॉ। शंकर सुमन, सहायक संग्रहालय अध्यक्ष, पटना संग्रहालय

Posted By: Inextlive