जमीन हमारी, तो कब्जा क्यों?
रोक के बाद भी खरीदकर एमएलए के लोगों ने खाली करने का फरमान जारी कर दिया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पूरे लाव-लश्कर व हथियारों से लैस एमएलए के लोग आये और उनलोगों को पीटना शुरू कर दिया। करीब 27 कट्ठे की जमीन पर पहले से ही विवाद चल रहा है। वहां रह रहे अरुण कुमार ने बताया कि हमारे पूर्वज यहां 70 साल से रह रहे थे। इसका मालिकाना हक चाहिए
यह जमीन स्व। केदारनाथ बनर्जी की है। देखरेख के लिए उनके ही फैमिली मेंबर को दिया गया था। इसे बेचने की अनुमति नहीं थी। वहीं रह रहीं नीलम देवी का कहना है कि अब हमें इसका मालिकाना हक चाहिए, पर जबरदस्ती हमें बाहर किया जा रहा है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि फोन करने के बाद भी पुलिस घंटे भर बाद पहुंची, जबकि थाना कुछ ही दूरी पर स्थित है। वहीं, पीरबहोर थानाध्यक्ष असरार अहमद ने बताया कि हाईकोर्ट ने मालिक के फेवर में फैसला सुनाया है। यह जमीन एक बिल्डर को दे दिया गया है। बिल्डर ही उसे खाली करवाने आया था। लोगों का आरोप निराधार है।
Flashback
जमीन विवाद पुलिस के लिए हेडेक बन चुका है। सीनियर एसपी के दरबार से लेकर विभिन्न थाना क्षेत्रों तक में जमीन विवाद के इतने मामले आते हैं कि पुलिस परेशान हो जाती है। इस तरह के लफड़े ने कई बार लॉ एण्ड ऑर्डर की समस्या ही खड़ी कर दी है। इस कारण मॉव बेकाबू हो जाती है और आगजनी व फायरिंग छोड़ दीजिए मर्डर तक हो चुका है। वो तड़ातड़ गोलियों की बौछारइसी साल 9 जनवरी को बोरिंग केनाल रोड पर गोलियों की तड़तड़ाहट कौन भूल सकता है? तब वार्ड नम्बर 23 की कमिश्नर प्रभा देवी के देवर को गोली मारकर जख्मी कर दिया गया था। इस दौरान लोगों ने एक आई-टेन व एक स्कार्पियों को आग के हवाले कर दिया था। हंगामा बहुत देर तक होता रहा, स्थिति संभालने में पुलिस के पसीने छूट गए थे। इससे पहले जगदेव पथ में जमीन कब्जे को लेकर गोली चली थी, जिसमें दो महिलाओं को गोली लगी। इस हादसे में एक की जान भी चली गयी थी। घटना के बाद घंटों तक जगदेव पथ रणक्षेत्र बना रहा।