लेफ्ट की यूनिटी ही न हो जाए लेफ्ट!
- 15 से अधिक सीटों पर एक दूसरे के सामने होंगे वाम दल
PATNA(28 Sept): यूनिटी की बात करने वाली बिहार की वाम पार्टियां इस विधानसभा चुनाव में भी औंधे मुंह गिरने को तैयार है। कहने को तो बिहार की छह वाम पार्टियां एक साथ चुनाव लड़ रही हैं। आपस में इन पार्टियों ने सीटों का बंटवारा भी कर लिया। लेकिन वाम दलों के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। भाकपा माले, भाकपा, माकपा, आरएसपी, एसयूसीआई और फारवर्ड ब्लॉक इन सभी पार्टियों को एक-दूसरे से शिकायत है। इनके पार्टी नेताओं से बात करने से साफ झलकता है कि इन लोगों ने सीटों की घोषणा तो कर ली लेकिन अब जिसकी जहां मर्जी हो रही है अपने उम्मीदवार उतार रही है। लगभग क्भ् सीटों पर होंगे आमने-सामनेसूत्रों की मानें तो वाम दलों के बीच कुल ख्ब्फ् सीट पर अब तक समझौता नहीं हुआ है। हालांकि ख्ख्क् सीटों की घोषणा करते हुए वाम नेताओं ने कहा था कि जल्द ही अन्य सीटों पर भी बात हो जाएगी। लेकिन इस बीच पार्टियों को इगो सामने आता दिख रहा है। पार्टियों के बीच यह तय हुआ था कि भ् सीटों पर फ्रेंडली चुनाव लड़ा जाएगा। लेकिन इस बात पर वाम पार्टियां अमल करने को तैयार नहीं है। हालत ये है कि क्भ् से अधिक सीट पर ये एक दूसरे के सामने होंगी। ऑफ द रिकार्ड पार्टी नेता एक दूसरे पर मनमानी करने का आरोप भी लगाते हैं। मालूम हो कि सीपीआई ने अबतक 9क् सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। सीपीआई की ओर से बताया गया कि वो दस और सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। वहीं माले ने अब तक 9क् सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है साथ ही भ् और सीटों पर नामों की घोषणा करेगी।
छोटी पार्टियों में है निराशावाम गठबंधन की तीन छोटी पार्टियां आरएसपी, एसयूसीआई और फारवर्ड ब्लॉक में इस गठबंधन को लेकर निराशा का भाव है। इन पार्टी के नेताओं ने साफ-साफ कहा कि वाम की तीनों बड़ी पार्टियों ने गलत डिसीजन लिया है। एक अच्छे मौके को गवां रही है। बताया गया कि एसयूसीआई और आरएसपी की तरफ से यह पहल की गई थी कि वाम दल एक भी सीट पर फ्रेंडली चुनाव न लड़े। इसके लिए दोनो दल एक भी सीट नहीं लेने का प्रस्ताव भी दिया था। इसके बाद भी फ्रेंडली की स्थिति आने से इन पार्टियों में निराशा है। मालूम हो कि अब तक वाम दलों ने जितने सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है उसमें से पंद्रह सीट ऐसे हैं, जहां वे एक दूसरे के सामने आ गए हैं। वहीं बड़ी पार्टियों में सीपीआई का तर्क है कि तालमेल के मानकों को माले और सीपीएम ने नहीं माना जिस कारण तकरार बढ़ी है। मालूम हो कि अब तक ख्8 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई है। यह कयास लगाया जा रहा है कि यह संख्या क्भ् से बढ़ सकती है।
इन सीटों पर होंगे आमने सामने वामपंथी बहादुरपुर - सीपीआई एमएल, सीपीआई और सीपीएम धमदाहा - सीपीआई एमएल और सीपीएम तरैया - सीपीआई एमएल और सीपीएम इस्लामपुर - सीपीआई और सीपीआई एमएल रुपौली - सीपीआई और सीपीआई एमएल बिक्रम - सीपीआई और सीपीआई एमएल सरायरंजन - सीपीआई और सीपीआई एमएल हसनपुर - सीपीआईएम और सीपीआई एमएल कुम्हरार - सीपीआई और सीपीआई एमएल दीघा - सीपीआई और सीपीआई एमएल नाथ नगर - सीपीएम और एसयूसीआई तारापुर - सीपीआई और एसयूसीआई कुर्था - सीपीआई एमएल और एसयूसीआई महुआ - सीपीआई और एसयूसीआई सुगौली - सीपीआई और सीपीएम मोतिहारी - सीपीएम और सीपीआईगलत मैसेज तो जाएगा ही, लेकिन कुछ किया भी नहीं जा सकता है। तालमेल के आधार को कुछ सीटों पर माले ने नहीं माना तो कुछ सीटों पर सीपीएम ने। इस कारण ये स्थिति उत्पन्न हुई।
सत्यनारायण सिंह, राज्य सचिव, सीपीआई तमाम वाम पार्टियों को समझौते का सम्मान करना चाहिए। यह एक अच्छा मौका है, हम एकजुट होकर लड़े तो बेहतर परिणाम आयेंगे। वाम एकता कायम हुआ है तो उसका मैसेज भी जनता में अच्छा जाय इसके लिए तमाम पार्टियों को सोचना होगा। कुणाल, राज्य सचिव, सीपीआई एमएल यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। एक अच्छे मौके को ये वाम पार्टियां बर्बाद कर रही है। महागठबंधन और एनडीए के मुकाबले हम तीसरे विकल्प की सोच रहे थे लकिन जिस तरह का रवैया बड़ी पार्टियों का है उससे एक बार फिर इन्हें मुंह की खानी पड़ेगी। महेश प्रसाद सिन्हा, सीनियर लीडर, आरएसपी नंबर वन बनने के खेल में इस बार भी कुछ हासिल नहीं होने जा रहा है। लेफ्ट यूनिटी को लेकर जनता में एक अच्छा संदेश गया था लेकिन एक बार फिर इस मौके को हाथ से जाने दिया जा रहा है। वामपंथ को बड़ा करने की जो जिम्मेवारी थी उसे बड़ी पार्टियों ने तरजीह ही नहीं दी। अरुण कुमार सिंह, सीनियर लीडर, एसयूसीआई