अरेस्टिंग का आदेश मांगा तो जवाब मिला जाने दो उसे
PATNA: हाई प्रोफाइल यौन शोषण मामले में पुलिस पर सवाल खड़ा हो रहा है कि गंभीर आरोप के बाद भी पुलिस गिरफ्तारी को लेकर नरम क्यों है? ऐसे और कई सवाल हैं जो कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं। पीडि़ता ने भी पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगाया है।
- नहीं दिया आदेश पीडि़ता ने कहा कि कांड दर्ज होने के बाद निखिल की तलाश में एससी-एसटी थाना की पुलिस ने छापेमारी की थी, लेकिन वह गिरफ्त में नहीं आ सका। जब पुलिस को जानकारी मिली कि निखिल एयरपोर्ट पर है और शहर छोड़कर भाग रहा है तो पुलिसकर्मी वहां पहुंच गए। निखिल की गिरफ्तारी के लिए एक पुलिसकर्मी ने महकमे के आला अधिकारी को कॉल करके आदेश मांगा, पर जवाब मिला-जाने दो। पीडि़ता का आरोप है कि पुलिस अब वह केवल दिखावे के लिए बयान दे रही है।- ये है कार्रवाई का नियम
- गंभीर अपराधों में पुलिस तत्काल केस रजिस्टर्ड करती है
- रेप जैसे गैर जमानती धारा में सबसे पहले आरोपी की अरेस्टिंग होनी चाहिए। - ऐसे गंभीर मामलों में पुलिस केस का पर्यवेक्षण कम से कम डीएसपी के जिम्मे होना चाहिए। - विशेष प्रतिवेदन केस में सीनियर पदाधिकारी पर्यवेक्षण रिपोर्ट ट्रू या फिर फॉल्स करता है- इसके बाद एसपी को प्रतिवेदन रिपोर्ट टू देना होता है।
- प्रतिवेदन रिपोर्ट टू में एसपी सहमत या असहमत होता है या पुन: जांच का आदेश देता है - ये प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक अंतिम प्रपत्र कोर्ट में प्रस्तुत नहीं कर दिया जाता है - अंतिम प्रपत्र दो तरह का होता है या तो ये चार्जशीट के रुप में होती है या फिर फाइनल रिपोर्ट। - गिरफ्तारी को लेकर ये है नियम - रेप जैसे गंभीर मामले में सबसे पहले अरेस्टिंग पर जोर दिया जाता है। - अगर आरोपी की गिरफ्तारी निश्चित समय तक नहीं होती है तो न्यायालय को आवेदन दिया जाता है। - न्यायालय से पुलिस वारंट मांगती है और इसके मिलने के बाद वह इसका तामिला कराती है। - समन तामिला नहीं होने की दशा में पुलिस इश्तिहार की कार्रवाई के लिए अनुमति लेती है और इसी क्रम में कुर्की जब्ती की भी कार्रवाई करती है। नाबालिग से रेप के मामले में पुलिस छापेमारी कर रही है। आरोपी हर हाल में गिरफ्तार किए जाएंगे। - पी के ठाकुर, डीजीपी