shambhukant.sinha@inext.co.in

PATNA: मच्छरों ने पटनाइट्स का जीना दूभर कर दिया है। लोग मच्छरों की वजह दिन -रात परेशान रहते हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि लिक्विड, केमिकल और कॉइल का भी अब इन मच्छरों पर कोई असर नहीं हो रहा है। कॉइल और इलेक्ट्रिक लिक्विड का उपयोग करने पर मच्छर थोड़े समय के लिए जमीन पर गिर जाते है या फिर भाग जाते है लेकिन थोड़ी देर बाद ही वापस आ जाते हैं। मजबूरी में लोगों को बचाव के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब मच्छरों को लेकर एक्सप‌र्ट्स से बातचीत की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। एक्सप‌र्ट्स ने बताया कि ये वही मच्छर हैं जो पहले थे लेकिन अब इनका टॉलरेंस लेवल बहुत बढ़ चुका है। इसके साथ ही इन्होंने वातावरण के हिसाब से खुद को ढालना भी सीख लिया है। यही वजह है कि अब इन पर कीटनाशक दवाओं का भी असर नहीं हो रहा है।

एंजाइम का कवच

आजकल मच्छर को मारने के लिए हर घर में कई तरह के केमिकल फॉरमूला का उपयोग किया जा रहा है। इसके प्रभाव को सहने के लिए मच्छर ने अपने शरीर के अंदर एक रक्षा तंत्र विकसित करते हैं। जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक डॉ डीएस सुमन ने बताया कि जब मच्छर पर कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है, तब वह अपने शरीर में एक ऐसा एंजाइम डेवलप करता है जो कीटनाशक को डीकंपोज कर देता है। जिससे उन पर इसका कोई असर ही नहीं होता है।

जेनेटिक चेंज से कीटनाशक का असर नहीं

मच्छर का कीटनाशक से नहीं मरना और उनका हमलावर स्वरूप को लेकर पटना यूनिवर्सिटी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग में एस ोसिएट प्रोफेसर डॉ बीरेंद्र प्रसाद ने दावा किया है कि मच्छर में जेनेटिक चेंज के कारण कीटनाशक आदि का असर नहीं हो रहा है जो नए परिवर्तन को पहचानने और उसे एडॉप्ट करने का काम करता हैं। उन्होंने बताया कि छोटे जीवों में नई परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढालने की बहुत क्षमता होती है।

खुद को बचाने की कोशिश करते हैं मच्छर

डॉ बीरेंद्र प्रसाद का कहना है कि मच्छर में ऐसे परिवर्तन हुए कि अगर आप उसे मारना की कोशिश करते है तो वह खुद को बचाने की कोशिश में जुट जाता है। इस केस में भी मच्छर स्वंय को बचाने की कोशिश करते हैं। जहां तक काटने की बात है तो यह मादा मच्छर ही करती है। क्योंकि उनके प्रोबोसिस इसी प्रकार के होते है जो खून चूसने और काटने का भी काम करते हैं। मेल मच्छरों में काटने की क्षमता नहीं होती है।

मच्छर समय के साथ अपनी बॉडी में रेसिस्टेंस कैपेसिटी डेवलप कर लेता है जिससे कीटनाशक का असर नहीं होता है। हर बार यह बदलाव उसे बचाता है।

डॉ डीएस सुमन, साइंटिस्ट, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया

नई परिस्थिति से लड़ने के लिए मच्छर खुद को जल्दी ढाल लेते हैं। इसमें जेनेटिक चेंज का भी बड़ा असर होता है। इससे मच्छर नहीं मरते हैं।

डॉ बीरेंद्र प्रसाद, एसोसिएट प्रोफेसर बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट, पीयू

Posted By: Inextlive