वीमेंस आईपीएल में खेलेंगी पटना की यशिता
पटना (ब्यूरो)। पटना की यशिता भारत में पहली बार आयोजित होने जा रहे विमेंस आईपीएल में खेलेंगी। उनका चयन बीसीसीआई की ओर से किया गया है। इसकी पुष्टि बीसीसीआई ने पत्र भेजकर की है। राजधानी के आशियाना नगर की रहने वाली 16 वर्षीय यशिता वीमेंस आईपीएल के लिए दुनिया भर से चुनी गई 350 महिला क्रिकेटरों में से एक हैैैं। यशिता ने अपने प्रदर्शन की बदौलत सेलेक्टरों का ध्यान आकर्षित कर यह मुकाम हासिल किया।
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बीसीसीआई की विमेंस अंडर-19 टी 20 चैलेंजर ट्रॉफी में खेल चुकी यशिता की कहानी साल 2016 में रिलीज हुई आमिर खान की फिल्म दंगल जैसी ही है। यशिता पटना के एक निजी स्कूल की दसवीं क्लास की छात्रा है। यशिता की बचपन से ही क्रिकेट में रुचि थी। उसके पिता ही कोच हैं जिन्होंने अपनी बेटी को ट्रेनिंग देकर इस मुकाम तक पहुंचाया।
पिता ने दी बेटी को ट्रेनिंगयशिता के पटना से बीसीसीआई तक के सफर की कहानी जानकर आप दंग रह जाएंगे। यशिता को क्रिकेट में शिक्षा देने वाला कोई पेशेवर कोच नहीं है बल्कि उसके पिता शैलेंद्र सिंह हैं। शैलेंद्र सिंह ने अपनी बेटी को स्कूली शिक्षा दिलवाने के साथ-साथ क्रिकेट की प्रैक्टिस पर भी जोर दिया। यही कारण है कि यशिता ने 50 से ज्यादा बोर्ड मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया। इस साल जुलाई में हुई सीरीज में यशिता ने छह मैच खेले जिनमें सभी में बढिय़ा खेलते हुए 222 रन बनाए। मैच में नागालैंड के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन करते हुए 138 रन बनाए। इसके बाद यशिता टॉप फाइव में आई और बीसीसीआई में चयन हो गया।
हर समय मिला पिता का साथयशिता सिंह बताती हैं कि क्रिकेट में मेरी रुचि बचपन से थी। अपार्टमेंट में भैया लोग के साथ क्रिकेट खेलती थी, लेकिन मैं टेनिस ज्यादा खेलती थी। पिता जी मेरे खेल पर हमेशा ध्यान देते थे और वे क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित करते थे। उन्होंने 2019 में पटना के मोइनुल हक स्टेडियम में होने वाले टूर्नामेंट में भाग लेने को कहा। मैंने भाग लिया और मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा। आगे यशिता ने कहा कि इसके बाद खेल में मेरी रुचि और बढ़ गई। मैं क्रिकेट पर विशेष ध्यान देने लगी। दो साल के कठिन परिश्रम से चैलेंजर ट्रॉफी में अपनी जगह बनाई। उसने अपने पूरे सफलता का श्रेय पिता शैलेंद्र सिंह को दिया।
पिता के सपना को जी रही यशिता यशिता के पिता शैलेंद्र सिंह पटना यूनिवर्सिटी के छात्र रहे हैं। वह यूनिवर्सिटी में क्रिकेट चैंपियन रहे थे। हालांकि उन्हें कभी बोर्ड में खेलने का मौका नहीं मिला। उनका सपना था कि जो मैं नहीं कर पाया वह उनके बच्चे करें। वह अपनी बेटी को क्रिकेट में बीसीसीआई तक ले गए। जीवन यापन के लिए उन्होंने टाइल्स मार्बल का व्यवसाय शुरू किया, लेकिन कोरोना में व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया। इसके बाद शैलेंद्र सिंह अपने मित्र के एक एकेडमी में क्रिकेट के कोच का काम करने लगे। बच्चों को क्रिकेट की शिक्षा देने लगे। अभी वे लगभग 30 बच्चों को क्रिकेट की शिक्षा देते हैं। बिहार में क्रिकेट के अच्छे दिनकाफी समय बाद बिहार में क्रिकेट के अच्छे दिन आए हैैं। लगातार बिहार की टीम और यहां के खिलाड़ी अच्छा कर रहे हैैं। इसके पहले बिहार की रणजी टीम ने प्लेट ग्रुप का फाइनल मेघालय से जीत कर एलीट ग्रुप में प्रवेश किया है। इसके पहले गोपालगंज के मुकेश कुमार का चयन आईपीएल में हुआ है। अब यशिता ने विमेंस आईपीएल में चयनित होकर बिहार का नाम बढ़ाया है।