पीयू में स्पोर्ट्स का हाल बदहाल
- पीयू स्पोर्ट्स बोर्ड सचिव का पद है रिक्त, कैसे होगा स्पोर्ट्स इवेंट
- स्पोर्ट्स इवेंट में कभी पटना यूनिवर्सिटी की बोलती थी तूती, आज है गुमनाम - स्थापना के सौ साल बाद भी एक इंडोर स्टेडियम नहीं बना सका shambhukant.sinha@inext.co.in PATNA पटना यूनिवर्सिटी अपना शताब्दी समारोह मनाने जा रहा है। लेकिन इस बार यह तय माना जा रहा है कि इस दौरान कोई स्पोर्ट्स इवेंट नहीं हो सकेगा। इसका कारण है स्पोर्ट्स बोर्ड का सक्रिय नहीं होना। फिलहाल सुहेली मेहता के स्पोर्ट्स बोर्ड के सेक्रेटरी पद से इस्तीफा देने के बाद यह पद रिक्त हो गया है। अब पीयू शताब्दी समारोह की तैयारी के लिए स्पोट्स इवेंट क्या होगा इसके बारे में कोई कुछ नहीं बता रहा। पीयू प्रशासन ही लापरवाहस्पोट्स बोर्ड के सूत्रों के मुताबिक पटना यूनिवर्सिटी में खेलकूद का माहौल नहीं रह गया है। प्रशासन के असहयोग के कारण बार- बार स्थिति ऐसी बनी है कि या तो टीम तैयार नहीं हो पायी या टीम बन गई तो यह सवाल उठाया जाता है कि इसमें साफगोई से काम नहीं किया गया। कई बार पीयू प्रशासन और बोर्ड के बीच ही किसी बात को लेकर एक राय बनी ही नहीं। इस प्रकार, बोर्ड धीरे- धीरे कमजोर होता गया। कम से कम सात- आठ सालों में स्पोर्ट्स इवेंट और इसके प्रदर्शन में भारी गिरावट आयी है।
इंडोर स्टेडियम का पैसा लौटाया पीयू स्पोर्ट्स बोर्ड के पूर्व सेक्रेटरी अमरनाथ सिंह ने बताया कि उनके कार्यकाल में ही यूजीसी ने स्पेशल फंड के तहत इंडोर स्टेडियम बनाने के लिए पैसा मुहैया कराया था। राशि की पहली किस्त दी गई थी। लेकिन बहुत विलंब करने के कारण पूरा पैसा लौटा दिया गया। उन्होंने अफसोस जताया कि सौ साल पुराने यूनिवर्सिटी के पास एक इंडोर स्टेडियम नहीं है, इसके अलावा खेल का कोई कोर्ट भी नहीं है। जबकि यहां हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद है। खेल की है अपनी महत्ता खेल- कूद को जहां विश्वविद्यालय प्रशासन हल्के में ले रहा है। तो वहीं दूसरी ओर यह सच बात है कि यूजीसी के असेसमेंट में खेल की एक्टिविटिज के लिए विश्वविद्यालय को प्वाइंट दिया जाता है। इस संबंध में एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज की ओर से यूजीसी में रिपोर्ट भेजी जाती है। स्पोर्ट्स कोटा बंद होना समस्याहर विभाग का स्पोर्ट्स कोटा होता है। इसके आधार पर नामांकन होता है। लेकिन बीएड सहित अन्य कुछ कोर्सेज में स्पोर्ट्स कोटा समाप्त कर दिया गया है। इसे लेकर छात्रों में उदासीनता का माहौल है। दूसरी ओर, इस मामले को छोटा मानकर छात्र संगठन भी आवाज नहीं उठाते हैं। इसलिए यह मुद्दा होकर भी मुद्दा नहीं बन पाता है।
यूनिवर्सिटी की रैंकिंग के लिए जरूरी पढ़ाई के साथ साथ खेलकूद से छात्रों का सम्यक विकास होता है। इसके साथ ही यह यूनिवर्सिटी की रैंकिंग में भी एक पारामीटर है। एक यूनिवर्सिटी में एकेडमिक रिकार्ड के साथ- साथ स्पोर्ट्स इवेंट की भी गणना होती है। कभी राष्ट्रीय स्तर पर नाम था क्99ब् बैच के पटना लॉ कॉलेज के छात्र और सीनियर एथलीट राम रतन सिंह ने बताया कि उनके समय में एके गांगुली स्पोर्ट्स सेक्रेटरी हुआ करते थे। सभी खेलों की टीमें बना करती थी। तब एथलेक्टिस सहित अन्य कई स्पोर्ट्स इवेंट में पीयू का स्थान राष्ट्रीय स्तर पर था.तब इंटर यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप में डिस्कस थ्रो के इवेंट में मिली सिन्हा राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान प्राप्त की थी। आज वह रेलवे में नौकरी कर रही है। आज स्थिति इसके ठीक उलट है। जब शताब्दी समारोह होगा तब सभी इवेंट होंगे, स्पोर्ट्स के लिए इनचार्ज बनाये जाएंगे। अभी से इस मुद्दे पर परेशान होने की आवश्यकता नहीं। - डॉ डाली सिन्हा, प्रो वीसी पटना यूनिवर्सिटीखेल को जब कभी प्राथमिकता बनने ही नहीं दिया जाएगा तो खेल के विकास की बात करना बेमानी होगी। इसके लिए निरंतर नई -नई गतिविधियां होनी चाहिए।
- अमरनाथ सिंह, पूर्व सेक्रेटरी पीयू स्पोर्ट्स बोर्ड खेल कूद का भी महत्व है लेकिन विश्वविद्यालय की अनदेखी के कारण पीयू से अच्छे खिलाड़ी नहीं निकल रहे, टीम भी नहीं बन रहा है। राम कुमार सिंह, कार्यकारिणी सदस्य पीयू छात्र संघ पहले पटना यूनिवर्सिटी का स्पोर्ट्स बोर्ड बहुत सशक्त हुआ करता था। हर स्पोर्ट्स की टीम बनायी जाती थी। ऑल इंडिया रीप्रजेंटेशन भी हुआ करता था। - राम रतन सिंह, पूर्व एथलेटिक्स टीम कैप्टन पीयू पीयू में स्पोर्ट्स का माहौल तब से गिरने लगा जब से अमरनाथ चौधरी सर स्पोर्ट्स बोर्ड के पद से रिटायर हुए। - आशीष सिन्हा, पूर्व क्रिकेट कप्तान पीयू