मच्छर व डॉग पर निगम का कंट्रोल ही नहीं
- आठ साल में बढ़ी स्ट्रीट डॉग की संख्या, निगम उदासीन
- डॉग पकड़ने वाले कर्मी ऑफिस में कर रहे हैं कामPATNA : नगर निगम कागजी कार्रवाई में अधिक मजबूत है। उस पर नजर डाले तो आप हैरान हो जाएंगे, ये अपने कर्मियों से लेकर काम करने के स्टाइल दिखाकर हर किसी को हैरान कर सकते हैं, लेकिन ग्राउंड लेवल पर रियलिटी कुछ और ही है। कंडीशन यह है कि मच्छर और स्ट्रीट डॉग से बीस लाख पटनाइट्स परेशान हैं। लेकिन दोनों को निगम कंट्रोल नहीं कर पा रहा है। एक तरफ मच्छर का प्रकोप बढ़ रहा है। वहीं पांच करीब लाख स्ट्रीट डॉग पटनाइट्स को नाक में दम कर रखा है। डॉग को पकड़ने के लिए सिर्फ दो निगम कर्मी तैनात है। यही नहीं दोनों निगम कर्मी दस साल में एक डॉग तक नहीं पकड़ पाए हैं। यह हैरान करने वाली बात है जबकि हर दिन पचास से अधिक लोग डॉग की चपेट में आ रहे हैं। एंटी रैबिज की बढ़ती डिमांड से कई बार पीएमसीएच सहित अन्य हॉस्पीटलों में इसकी कमी होने लगती है।
डॉग की आवाज से ही भाग जातेज्ञात हो कि पिछले साल फॉगिंग मशीन इसलिए खराब हो गई थी क्योंकि उसे चलाने का तरीका निगम कर्मी को मालूम नहीं था। जानकारी के अभाव में जैसे-तैसे मशीन चलाया गया। इससे कई फॉगिंग मशीन खराब हो गया था। यही स्थिति कुत्ता मारक दल को लेकर भी है। जिन दो लोगों की तैनाती है। वे दोनों डॉग की आवाज से ही दूर भाग जाते हैं। इसलिए इन्हें फाइलों में लगाया गया है। वहीं निगम ऑफिसर्स की मानें तो लगातार प्रयास चल रहा है।
मच्छर काटने से परेशानी -मलेरिया की चपेट में आ रहे -डेंगू की चपेट में फंसते जा रहे -फाइलेरिया का बढ़ जाता है प्रकोप -चिकनगुनिया और येलो फीवर बचाव -नाले में किरासन तेल या अन्य पदार्थ का छिड़काव -रेगुलर फॉगिंग से मच्छर को खत्म किया जा सकता है -मच्छर से बचने के लिए करें मच्छरदानी का यूज डॉग से परेशानी -रेबिज का खतरा बना रहता है -टिटनेस का भी बना रहता है खतरा -हाइड्रोफोविया का असर बचाव - रात में स्ट्रीट डॉग से बचकर चलें - यदि काट ले तो फौरन ठंडे पानी से धोएं - फिर उसे डिटोल से साफ कर दें - टिटनेस की सुई लगा लें (फिजिशियन डॉ संजय कुमार से बातचीत पर आधारित )शिकायत मिलने पर अभियान चलाया जाता है, लेकिन इस संबंध में अभी कुछ खास जानकारी नहीं है।
- राजीव रंजन, डिप्टी कमिश्नर