Patna Flood: बारिश के बाद ठंड बरपेगी कहर, वेदर एक्सपर्ट ने कहा तापमान रहेगा बहुत कम
पटना (ब्यूरो)। लगातार हो रही बारिश और मानसून के देर से वापसी से भीषण ठंड पड़ने की अनुकूल स्थिति बन रही है। इंडियन मेट्रोलाजिकल सोसाइटी, पटना चैप्टर के प्रेसिडेंट डॉ प्रधान पार्थ सारथी ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वातावरण में मोआइचर का प्रभाव नहीं रहेगा और जमकर ठंड पडे़गी। वर्ष 2007 के बाद यह स्थिति पटनाइट्स देखेंगे।
बीते वर्ष 7.4 सबसे कम तापमानबीते वर्ष पटना में विंटर सीजन का सबसे कम तापमान 27 दिसंबर को 7.4 डिग्री रिकार्ड किया गया था। जबकि इससे भी कम तापमान इसी दिन गया में 4.6 डिग्री रिकार्ड किया गया। यदि इस बार भीषण ठंड पड़ती है तो पटना में न्यूनतम तापमान का रिकार्ड बन सकता है।
छह से आठ डिग्री गिरा पारा
बीते दो दिनों के अधिकतम तापमान में कम से कम छह से आठ डिग्री की कमी दर्ज की जा रही है। पटना में रविवार का अधिकतम तापमान 23.8 डिग्री सेल्सियस रहा। तीन -चार दिनों में भी तापमान 26 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है।
प्रबल है चक्रवात का असर
डॉ प्रधान पार्थ सारथी का कहना है कि इस बार चक्रवात की स्थिति बहुत प्रबल है। क्योंकि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों ओर से भरपूर नमी मिल रही है। उन्होंने बताया कि दक्षिण बिहार और इस्टर्न यूपी में यह आकर स्थिर हो गया है। चक्रवात के इस पूरे सिस्टम का मूवमेंट बहुत कम है। इसलिए यह पटना से जल्दी निकलने वाला नहीं है। इसलिए लगातार बारिश हो रही है।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि यह समय मानसून का असली समय है। एएन कॉलेज में ज्योग्राफी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डीपी सिंह ने बताया कि यह मानसून के वापसी का समय जरुर है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि इसका प्रभाव नहीं होगा। यही बारिश का सही समय है। क्योंकि जब भी हथिया नक्षत्र प्रभावी रहा है, जमकर बारिश होती है। इसमें हफ्ते - दो हफ्ते बारिश होना सामान्य बात है। यह बारिश तापमान को भी प्रभावित करेगा। अक्टूबर तक असर
मौसम विभाग का अनुमान है कि इस बार अक्टूबर तक मानसून सक्रिय रहेगा। मानसून के देर से लौटने के कारण ही यह ठंड के ज्यादा प्रभावी होने का कारण बनेगा। डॉ प्रधान पार्थसारथी ने कहा कि जब भी हथिया नक्षत्र में भीषण बारिश हुई है इसके बाद भीषण ठंड का भी असर देखा गया है। इस वर्ष यह स्थिति बन रही है।
दशहरा के बाद दिखेगा असर
इस बार दशहरा के बाद ठंड का जबरदस्त असर दिखेगा। जहां पहले हवा में वाटर वेपर मौजूद रहता था और तापमान भी 30 से 35 डिग्री रहता था। इस वजह से रात में लोग फैन भी चलाते थे। लेकिन अभी सितंबर में ही फैन का यूज बंद हो गया है। कई लोग चादर भी ओढ़ रहे हैं। क्योंकि अधिकतम तापमान में भारी कमी दर्ज की गई है।
जब वातावरण में मोआइस्चर कम होगा तो ठंड ज्यादा होगा। इस बार हो रही लगातार बारिश के कारण यह स्थिति बनने की प्रबल संभावना हो गई है।
- डॉ प्रधान पार्थ सारथी, प्रेसिडेंट इंडियन मेट्रोलाजिकल सोसाइटी, पटना चैप्टर
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