Patna : कनकलता और राजदेव के अलावा हजारों ऐसे स्टूडेंट्स हैं जो बोर्ड की गलती का खामियाजा भुगत रहे हैं. विश्वास ना हो तो बोर्ड के सामने आप थोड़ी देर भी खड़े हो जाएं तो आपको ऐसे कई परेशान कैंडिडेट्स दिख जाएंगे.


नाम : कनकलता।रोल नंबर : 1005110002 जिस सब्जेक्ट में एग्जाम दिया : सोशल साइंस। अप्लायड फॉर : सेकेंडरी टीचर। रिजल्ट पब्लिश्ड हुआ : हिंदी। माक्र्स-25.33 परसेंट। नॉट क्वालिफायड। फरवरी में एसटीईटी का एग्जाम हुआ था। 14 जून को जब रिजल्ट आया, तो कनकलता की उम्मीदों पर पानी फिर गया। बीएड क्वालिफाइड कनकलता ने सोशल साइंस से एग्जाम दिया था, पर उसे मार्कशीट हिंदी सब्जेक्ट का मिला। हिंदी में उसे 25.33 परसेंट माक्र्स मिले हैं। इसके साथ ही उसे नॉट क्वालिफाइड कर दिया गया। इन दिनों कनकलता अपने  पति रामनिरीक्षण प्रसाद के साथ सुबह-शाम बिहार स्कूल एक्जामिनेशन बोर्ड का चक्कर लगा रही है। नाम : राजदेव पासवानक्रमांक : 1011110204सब्जेक्ट जिसका एग्जाम दिया : सोशल साइंस। अप्लायड फॉर : सेकेंडरी टीचर। रिजल्ट पब्लिश्ड हुआ : हिंदी। माक्र्स : 41 परसेंट। नॉट क्वालिफायड।
राजदेव ने फस्र्ट टाइम 2005 में टीचर की वैकेंसी के लिए एग्जाम दिया था, पर उस बार उनका नहीं हो सका। इस बार के लिए उन्होंने पूरी तैयारी की थी, लेकिन यहां तो पूरा खेल ही उलट हो गया। 14 जून को रिजल्ट पब्लिश हुआ, तो राजदेव हैरत में पड़ गए। दरअसल, उन्होंने एग्जाम दिया था सोशल साइंस सब्जेक्ट का और उनका रिजल्ट हिंदी दिया गया। अब वे भी बिहार स्कूल एक्जामिनेशन बोर्ड की दौड़ लगा रहे हैं। काउंटर भी काम नहीं कर रहाहालांकि ऑफिसर्स ने अपनी परेशानी से बचने के लिए कैंडिडेट्स की डायरेक्ट एंट्री बंद कर दी है। उससे रिलेटेड इंफॉर्मेशन देने के लिए जो काउंटर बनाए गए हैं, उस पर भी कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा। नतीजतन, अभ्यर्थियों ने राइट टू एजुकेशन के जरिए जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। कनकलता ने आरटीआई के जरिए बीएसईबी से अपना आंसरशीट मांगा है। राजदेव ने भी इस तरह की गड़बड़ी के कारणों का जवाब बीएसईबी से मांगा है। परेशानी का दूसरा नाम बिहार बोर्ड ऐसे भी बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड परेशानी का दूसरा नाम है। मैट्रिक का रिजल्ट प्रकाशित होने के बाद से यहां सालोंभर परेशान कैंडिडेट्स आते-जाते रहते हैं। बोर्ड कर्मचारियों की चूक का खामियाजा परीक्षार्थियों को भुगतना पड़ता है। कहने को तो बोर्ड ऑफिस ने सिंगल विंडो सिस्टम डेवलप किया है, पर कर्मचारियों की कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं आया है। सर्टिफिकेट में माइनर एरर में सुधार लाने के लिए स्टूडेंट्स को क्या नहीं करना पड़ता। सात लाख अभ्यर्थियों ने लिया था हिस्सा


गौरतलब है कि एसटीईटी में राज्यभर से 6.93 लाख अभ्यर्थियों ने एग्जाम दिया था। दो दिनों में संपन्न हुए इस एग्जाम की जिम्मेवारी बिहार स्कूल एक्जामिनेशन बोर्ड को दी गई थी। इसके रिजल्ट आने के बाद अभ्यर्थियों में घोर निराशा हुई। पहला कारण केवल 21.42 परसेंट रिजल्ट हुए और दूसरा कि कनकलता और राजदेव जैसे कैंडिडेट्स की संख्या भी अच्छी-खासी है.  'कहीं न कहीं गलती तो हुई है। अब तक चार हजार से अधिक  कंप्लेंस आ चुके हैं। ओएमआर शीट में तो सबकुछ कंप्यूटराइज्ड है। इसमें मैन्युअली जांच नहीं होती। लोगों ने कंप्यूटर की भाषा के अनुरूप ओएमआर शीट फिल नहीं किया होगा। ऐसे जो भी अभ्यर्थी हैं, वे बोर्ड ऑफिस के काउंटर नंबर 6 पर आकर अपनी कंप्लेन दर्ज करवा सकते हैं। उनकी शिकायत डाटा सेंटर भेजी जाएगी। सभी कॉपियों की स्क्रूटनी पॉसिबल नहीं है, क्योंकि इसकी संख्या लाखों में है। इसे लेकर कोई समयसीमा निर्धारित करना भी पॉसिबल नहीं है.'  प्रो राजमणि प्रसादचेयरमैन, बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड, पटना

Posted By: Inextlive