PATNA : व्यवस्था से पीडि़त आईपीएस अफसर को मुंह खोलने की इजाजत नहीं मिली तो वह रिटायर होने के बाद बवंडर मचा सकते हैं. प्रदेश में आईपीएस अफसरों को किस तरह से फर्जी जांच में फंसाकर पदोन्नति से रोका जा रहा है. इसका वह बड़ा खुलासा कर सकते हैं. क्योंकि वह अकेले नहीं हैं जो इस व्यवस्था से तंग हैं. ऐसे अधिकारियों की संख्या दर्जनों में है जो रिटायर होने को हैं लेकिन उन्हें प्रमोशन नसीब नहीं हो सका है. आईपीएस ने गृह सचिव और मुख्य सचिव पर प्रताडऩा का आरोप लगाकर विभाग में भूचाल ला दिया है. अब हर किसी नजर अपर सचिव कौशलेंद्र पाठक के निर्णय पर है. वह आईपीएस को अनुमति देते या नहीं.

 

 

क्यों निकली बगावत की सुर

आईपीएस अफसर व्यवस्था से तंग होने के बाद भी अपनी आवाज नहीं उठा सकते हैं। वह हमेशा आला अधिकारियों से कार्रवाई के डर से सहमे रहते हैं। अंदर ही कुढ़ते हैं लेकिन पीड़ा नहीं व्यक्त कर पाते हैं। लेकिन आईपीएस मोहम्मद मंसूर अहमद ने तो विभाग में भूचाल ही ला दिया है। वह रिटायर होने वाले हैं लेकिन उन्हें पदोन्नति नहीं मिल पाई है। एक-दो नहीं दर्जनों बार आवाज अधिकारियों तक पहुंचाने के बाद भी उनकी नहीं सुनी गई। अब तंग आकर व्यवस्था के खिलाफ मुंह खोलने के लिए प्रेस कांफ्रेंस की अनुमति मांगी तो जिम्मेदार दबाव बनाना शुरू कर दिए। मामला बेहद गंभीर है इसलिए अफसर इजाजत देने के मूड में नहीं हैं. 

 

मामला उलझा सकते हैं अफसर 

मामला गृह सचिव आमिर सुबहानी और मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह से जुड़ा है इसलिए बगावत की सुर निकलते ही विभाग में हड़कम्प है। हर अफसर आईपीएस को दबा रहा है। सूत्रों का कहना है कि आईजी प्रशिक्षण ने आईपीएस को पत्र भेजकर कहा कि प्रेस कांफ्रेस करना धारा का उल्लंघन है। ऐसे में यह संकेत मिल रहा है कि उन्हें अनुमति नहीं मिलने वाली है। पीडि़त आईपीएस ने कहा कि वे व्यवस्था से तंग हैं लेकिन कानून नहीं तोड़ सकते हैं। अनुमति नहीं मिली तो वह रिटायर होने के बाद अनुभव और पीड़ा साझा करेंगे। उनका कहना है कि नौकरी में वह काफी प्रताडि़त हुए हैं। विभाग में वह किस कदर उपेक्षित किए गए हैं, बता नहीं सकते हैं। कानून में बंधे होने के कारण उन्हें अपनी पीड़ा कहने के लिए अधिकारियों की इजाजत लेनी पड़़ेगी, लेकिन दिसंबर में वह जब विभाग से रिटायर हो जाएंगे तो आम आदमी की तरह अपनी बात कह सकते हैं।

Posted By: Inextlive