देहरादून

देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंरू में नन्हें प¨रदों का अनूठा संसार दिखाई देने लगा है। इस बार यहां करीब 60 देशी प्रजाति के प¨रदों ने ने¨स्टग की है। अब घोसलों व घास के झुरमुटों के बीच नन्हें प¨रदों की चहचहाहट वातावरण में रस घोल रही है।

खूब हो रही नेस्टिंग

आसन वेटलैंड में इन दिनों पानी में रहने वाले प¨रदों के चूजे नजर आ रहे हैं। घोसलें बनाकर रहने वाले प¨रदों की नेस्टिंग चल रही है। कुछ घोसलों में तो चूजे देखे जा सकते हैं। आसन नमभूमि में अक्टूबर से मार्च आखिर तक विदेशी प¨रदे पक्षी प्रेमियों को लुभाते हैं। इनके अपने मूल स्थानों को वापस लौटने के बाद आसन झील पर देशी प्रजाति के प¨रदों का राज कायम हो जाता है। इस बार यहां इंडियन कोरमोरेंट, ईग्रेट, नाइट हेरोन, पिनटेड स्टार्क, किंगफिशर, व्हाइट थ्रोटेड ¨कगफिशर, कॉमन मोरहेन, लिटिल ग्रेब, स्पाट बिल्ड डक, इंडियन रोलर, स्पोटेड ओलेक, हिमालयन बुलबुल, राबिन, बया बीवर आदि स्थानीय प्रजाति के प¨रदों ने ने¨स्टग की थी। अब घोसलों से नन्हें प¨रदे झांकने लगे हैं।

जुलाई तक रहेंगे परिंदे

नर व मादा पक्षी जुलाई तक प¨रदों की परवरिश करेंगे। इसके बाद नन्हें प¨रदों में बाहरी परिस्थिति से जूझने की क्षमता विकसित होते ही वह स्वच्छंद उड़न भरना शुरू कर देंगे। पक्षी विशेषज्ञ प्रदीप सक्सेना का कहना है कि विभिन्न प्रजातियों के नन्हें प¨रदों की परवरिश का समय जुलाई तक है।

Posted By: Inextlive