13 जून 1994 को झारखंड राज्य की राजधानी रांची के रातू नामक स्थान में पैदा हुईं दीपिका कुमारी अब 21 साल की हो चली हैं। दीपिका एक रिकर्व भारतीय महिला तीरंदाज हैं। बिल्कुल निचले पायदान से निशानेबाजी के खेल में शुरुआत करने वाली ये खिलाड़ी आज अंतरराष्ट्रीय स्तर की शीर्ष खिलाड़ियों में से एक है। इनके जन्‍मदिन के मौके पर आइए बात करें भारत की महिला खिलाड़‍ियों के बारे में जिन्‍होंने अपनी प्रतिभा से देश का नाम किया है रोशन।

दीपिका कुमारी
दीपिका एक भारतीय तीरंदाज हैं, जिन्होंने 2012 में लंदन ओलंपिक्स में हिस्सा लिया था। इन्होंने 2010 में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में दो गोल्ड मेडल झटके। वहीं 2010 में ही एशियन गेम्स में भी इन्होंने एक कांस्य पदक जीता। 2012 में इन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार को पाकर दीपिका और उनका परिवार दोनों ही काफी खुश थे।      
साइना नेहवाल
बैडमिंटन की यह रानी मूल रूप से हैदराबाद की रहने वाली हैं। साइना ने 2012 के समर ओलंपिक्स के बैडमिंटन में ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली भारतीय का रिकॉर्ड बनाया। इसके बाद 2013 में इन्होंने कामयाबी का दूसरा सेहरा पहना। इस समय इन्हें वर्ल्ड रैंकिंग में दूसरा स्थान दिया गया। उसके बाद से अभी तक साइना इस नंबर दो की पोजिशन पर कायम हैं।  
सानिया मिर्जा
सानिया इस समय देश की नंबर वन टेनिस प्लेयर हैं। इन्होंने अब तक तीन बार मिक्सड ग्रांड स्लैम का खिताब जीता है। 2009, 2012 और 2014 में। सानिया ग्रैंड स्लैम का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी होने का भी गौरव पा चुकी हैं। इसी के साथ ही वह US $ 1 मिलियन से ज्यादा कमाने वाली पहली महिला भारतीय खिलाड़ी भी बनी हैं।
मैरी कॉम
पांच बार वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियन रह चुकीं मैरी कॉम वाकई शेर दिल महिला हैं। मैरी ऐसी इकलौती महिला बॉक्सर हैं, जिन्होंने छह चैंपियनशिप में मेडल जीते। 2012 में मैरी भी ऐसी इकलौती महिला बॉक्सर रहीं, जिन्होंने लंदन ओलंपिक्स में कांस्य पदक जीता। 2010 और 2014 में इन्होंने एशियन गेम्स में क्रमश: कांस्य और स्वर्ण पदक जीता।  
दीपिका पल्लिकल
यह भारतीय स्क्वैश प्लेयर टॉप टेन WSA रैंकिंग को तोड़ने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी। दीपिका अपनी इस फील्ड में उस समय सफलता के करीब पहुंचीं, जब वह 2012 में ऑस्ट्रेलियन ओपेन के सेमी फाइनल्स तक पहुंच गईं। 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान डबल्स में इन्होंने स्वर्ण पदक और सिंगल्स में कांस्य पदक जीता।  
ज्वाला गुट्टा
13 बार बैडमिंटन की नेशनल चैंपियन रह चुकीं ज्वाला ने कई बार उठने वाले विवादों में उलझने के बजाए आगे बढ़ना ही बेहतर समझा। ये वह बड़े विवाद थे, जो उनकी जिंदगी को खराब कर सकते थे। कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान इन्होंने मिक्सड डबल्स और महिलाओं के डबल्स व मिक्सड डबल्स कैटेगरी में 2 सिल्वर मेडल और एक स्वर्ण व कांस्य पदक भी झटका।

अश्विनि पोन्नपा
एक और बैडमिंटन प्लेयर। इन्हें अक्सर बैडमिंटन मैच के दौरान ज्वाला गुट्टा के साथ जोड़ी में खेलते देखा होगा आपने। ज्वाला के पद चिह्नों का पीछा करते हुए इन्होंने भी कॉमनवेल्थ गेम्स में दो सिल्वर मेडल और एक गोल्ड मेडल जीता है। इन्होंने भी 2014 के एशियन गेम्स में कांस्य पदक अपने नाम करवाया।   
तानिया सचदेवा
शतरंज की इस भारतीय खिलाड़ी ने उस समय पूरी दुनिया का ध्यान खुद की ओर आकर्षित किया था, जब महज आठ साल की उम्र में इन्होंने अंतरराष्ट्रीय चेस का टाइटिल जीत लिया था। तानिया अंतरराष्ट्रीय ग्रांडमास्टर और महिला ग्रांडमास्टर भी हैं।    
शिखा टंडन  
बेंगलुरु से आई यह तैराक 2004 में एथेंस में होने वाले ओलंपिक्स में भारत की ओर से भाग लेने वाली इकलौती तैराक थी। पहली भारतीय तैराक होने के नाते इन्होंने ओलंपिक्स के दो अलग-अलग इवेंट्स में क्वालीफाई किया। शिखा को भी 2005 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ।   
शर्मिला निकोलेट
मूल रूप से बंगलुरु की रहने वाली ये इंडो-फ्रेंच गोल्फर शर्मिला अब तक यूरोपियन टूर को क्वालीफाई करने वाली सबसे नौजवान खिलाड़ी हैं। दोहा में एशियन गेम्स के दौरान इन्होंने ही भारत का पूर्णरूपेण नेतृत्व किया। 2010 में इन्होंने प्लेयर ऑफ द ईयर का खिताब जीता।    
मिताली राज
भारतीय महिला क्रिकेटर और भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हैं मिताली। इसमें कोई दो राय नहीं है कि मिताली अब तक की सबसे बेहतरीन महिला क्रिकेटर रही हैं। आयरलैंड के खिलाफ ODI में इन्होंने शतक जड़कर सबको चौंका दिया था। 19 साल की उम्र में इन्होंने टेस्ट मैच में कुल 214 रन बनाकर सबसे ज्यादा इंडीवीजुअल स्कोर बनाने का रिकॉर्ड बनाया। 2005 के क्रिकेट वर्ल्ड में इन्होंने फाइनल्स तक के मैचों में टीम का कुशलता के साथ नेतृत्व किया, लेकिन टीम ऑस्ट्रेलिया से मैच हार गई। 2003 में इनको भी अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। अब तक मिताली 10 टेस्ट मैच और 153 ODI मैच जीत चुकी हैं।   
शिखा ओबेरॉय
ये इंडो-अमेरिकन टेनिस प्लेयर 2004 में US ओपेन के दौरान ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट राउंड जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। इन्होंने भी 2006 में होने वाले एशियन गेम्स में भारत का नेतृत्व किया था।

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Posted By: Ruchi D Sharma