आंकड़ों की अगर बात की जाए तो लगभग 12 लाख ब्रितानी नागरिक दूसरे यूरोपीय देशों मे रह रहे हैं जबकि तीन लाख ग़ैर ब्रितानी यूरोपीय नागरिक ब्रिटेन मे रह रहे हैं।


ये इसलिए है क्योंकि अभी यूरोपीय नागरिकों के कहीं भी आने जाने मे कोई रुकावट नहीं है।यूरोपीय नागरिकों को संघ के किसी भी देश जाकर नौकरी करने की भी स्वतंत्रता रही है। इसका सभी को लाभ मिला।लेकिन जनमत संग्रह के नतीजों ने सबकी चिंताएं बढ़ा दी हैं।भारत मे चिंतापंजाब में इसका चलन दूसरे राज्यों की तुलना मे काफी ज़्यादा है।इसका ये मतलब भी है कि अब यूरोपीय संघ से रोज़गार के लिए ब्रिटेन जाने वाले लोगों को अब अपना अधिकार गँवाना भी पड़ सकता है।लेकिन अभी तो सिर्फ़ जनमत संग्रह के नतीजे आए हैं और इसपर ठोस कानून के आने में अभी कुछ वक़्त लगेगा।भारत मे ज़्यादा असर किस परजनमत संग्रह के नतीजों से भारत मे सबसे ज़्यादा निराशा दो राज्य के लोगों मे हुई है। गोवा और पुड्डुचेरी।


ब्रिटेन के संख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार वहाँ लगभग 20 हज़ार गोवा के लोग हैं जिनके पास पुर्तगाल का पासपोर्ट है और जो ब्रिटेन मे काम कर रहे हैं।इनके लिए भी अब मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।छात्रों के लिए खुशी

जानकारों का कहना है कि समझौतों की वजह से ब्रितानी शैक्षणिक संस्थाओं में यूरोपीय छात्रों को छात्रवृति ज़्यादा मिला करती रही है।ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग हो जाने की सूरत में अब भारत के छात्रों के लिए पढ़ाई के अवसर बढ़ेंगे क्योंकि ब्रिटेन पर यूरोपीय छात्रों के लिए कोई बाध्यता नहीं रह जाएगी।

Posted By: Satyendra Kumar Singh