देवउठनी एकादशी पर मध्‍यप्रद्रेश में सामूहिक विवाह का आयोजन हुआ। यहां पर दूल्हा-दुल्हन को सात फेरों के अलवा स्वच्छता और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के वचन भी दिलाए गए। ऐसे में इन सबके बीच दुल्‍हन के लिबास में बैठी एक बेटी ने अपने पिता की हथकड़ी खोलने की गुहार लगानी शुरू कर दी थी। हालांकि बाद में उसके पिता को हथकड़ी वाले हाथों से ही कन्‍यादान करना पड़ा।


कुछ पलों के लिए खोल दीजिए
देवउठनी एकादशी पर मध्यप्रद्रेश के नंदीग्राम में कोरी समाज का सामूहिक विवाह आयोजित हुआ। तभी इस विवाह में बेटियों की विदाई से पहले एक ऐसा मामला सामने आया जिसे देख कर हर किसी का दिल पसीज उठा। यहां सामूहिक विवाह में लाल जोड़ो में सजी दुल्हने बैठीं थी। सभी अपने अपने मंडपों में पुरोहितों के पास पहुंच गई। इस दौरान दूल्हे भी शादी की रस्मों में शरीक हो गए। तभी अचानक से लाल जोड़े में सजी एक बेटी अपने पिता के हाथों की हथकड़ी खोलने की गुहार लगाने लगी। सामूहिक विवाह होने से वहां पर कई प्रशासनिक अफसर भी मौजूद थे। इस दौरान वह हर किसी से कहती रही कि उसके पिता अपने खुले हाथों से कन्यादान करना चाहते हैं। सिपाहियों की मौजूदगी में ही उन्हें कुछ पलों के लिए खोल दीजिए, लेकिन कानून के आगे उसकी यह ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी। पिता ने हथकड़ी लगे हाथों से ही उसका कन्यादान किया। इस दौरान वहां उस बेटी की गुहार सुनकर हर कोई उसकी विदाई से पहले ही भावुक हो उठा।45 जोड़ों का सामूहिक विवाह


इस सामूहिक विवाह में एक बात यह भी नई देखने को मिली। यहां पर दूल्हा-दुल्हन ने सात फेरे लेकर सात वचनों के अलावा स्वच्छता और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संकल्प भी लिया। देवउठनी एकादशी को शुभ मानते हुए यहां पर करीब 45 जोड़ों का विवाह नंदीग्राम में गायत्री पद्धति से संपन्न कराया गया। इस कार्यक्रम के बारे में आयोजक सदस्य पूनम वर्मा का कहना है कि इस साल यह आयोजन का 17वां वर्ष है। इस आयोजन में प्रदेश भर की लड़के लड़कियां शादी के लिए आते हैं। वहीं हथकड़ी खोलने की गुहार के मामले में उनका कहना है आरोपी पर हत्या का आरोप है। कानूनी नियम में जो चीजें शामिल नही हैं उन्हें कैसे माना जा सकता है।

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Posted By: Shweta Mishra