जिम्मेदार लापरवाह, रिटेलर मालामाल
- अरहर दाल के थोक मंडी से निकलते ही लूट रहे फुटकरिए
- कारोबारियों पर कार्रवाई नहीं होने से बढ़ रही मनमानी GORAKHPUR: जिला प्रशासन और खाद्य आपूर्ति विभाग की लापरवाही से गोरखपुर में फुटकर विक्रेताओं की मौज है। जो जिस रेट में चाहता है उसी रेट में सामान बेच रहा है। तभी तो मंडी से 80 से 85 रुपए किलो निकलने वाली दाल फुटकर दुकानों में 140 रुपए किलो तक में बिक रही है। ग्राहकों के जेब पर डाका डाला जा रहा है लेकिन डीएम साहब इसे कोई मुद्दा ही नहीं मान रहे। दाल के नाम पर राजनीति करनेवाली पार्टियां भ्ाी चुप है। मंडी से निकली दाल तो 50 रुपए महंगी हो गईगरीब लोगों के लिए दाल सिर्फ भोजन में एक जरूरी व्यंजन ही नहीं बल्कि विटामिन का भी प्रमुख स्रोत है। दाल के भाव आसमान छूने के बाद लोग इसके लिए तरस गए थे। किसी की कटोरी में दाल पतली हो गई थी तो किसी की कटोरी से गायब ही हो गई थी। लेकिन, इस बीच दाम में गिरावट आने के बाद भी पब्लिक को महंगी दाल ही मिल रही है। रिटेलर दाल के भाव में तेजी दिखाकर जनता को मूर्ख बना रहे हैं। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने इसकी हकीकत जानने के लिए शहर के छह प्रतिष्ठित जगहों की रिटेल दुकानों पर जब जाकर दाल का भाव पूछा तो काफी अंतर दिखा। नवीन गला मंडी से 85 रुपए प्रतिकिलो निकली दाल पैडलेगंज में 140 तक की हो गई। हालांकि इस संबंध में दुकानदार कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।
जोड़ लेते हैं किराया थोक मंडी से जैसे ही माल फुटकर दुकान तक पहुंचता है तो दुकानदार उसमें किराया जोड़ देते हैं। उनका कहना है कि थोक कारोबारी ज्यादा माल मंगाते हैं तो उन्हें कम कीमत पड़ती है। वहीं फुटकर में अगर खरीद की जाए और फिर उसे दुकान तक लाया जाता है तो दाम बढ़ना तय ही है। आज तक नहीं हुई छापेमारी दाल के जब दाम बढ़े तो खूब राजनीति हुई। सरकार ने कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए डीएम से लेकर एसडीएम तक को छापेमारी करने का आदेश दे दिया। उस समय थोड़ी बहुत छापेमारी हुई भी फिर भी दाल की कालाबाजारी जारी रही। अब खुद डीएम ही इसे मुद्दा नहीं मानते हैं तो भला फुटकर दुकानदार क्यों डरे। मार्केट के रेट स्थान भाव प्रति किलो (रिटेल) गोलघर---115-135 बेतियाहाता-110 से 120 मोहद्दीपुर- 120 से 130 असुरन- 120 से 130गोरखनाथ- 115- 135
आली नगर - 110- 130 मैं कुछ नहीं कर सकता : डीएम इस मुद्दे पर आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब डीएम ओएन सिंह से वर्जन मांगा तो वे उखड गए। कहा कि खाद्य समाग्रियों पर सरकार रेट तय करती है और वहीं घटाती बढ़ाती है। इस पर प्रशासन का कोई रोल नहीं है। मैं कुछ नहीं कर सकता।