प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नई दिल्ली दौरे में डिनर के लिए खालिस्तानी आतंकी जसपाल अटवाल को आमंत्रित करने के मामले ने कनाडा की राजनीति में भूचाल ला दिया है। संसद में विपक्ष भारत की एकता-अखंडता और खालिस्तानी अलगाववादियों की निंदा का प्रस्ताव रखेगा।


राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बयान के बाद विपक्ष का कदमविपक्ष ने यह कदम ट्रूडो के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के इस बयान के बाद उठाया है जिसमें अटवाल के आमंत्रण को कुछ भारतीय अधिकारियों की साजिश बताया गया था। उस बयान में कहा गया था कि ट्रूडो के दौरे को असफल बनाने के लिए भारतीय एजेंसियों ने अटवाल को मोहरा बनाया। हालांकि भारत ने इस आरोप को अस्वीकार्य और बेबुनियाद करार देकर कड़ा विरोध जताया है। विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बयान और भारत के खंडन पर ट्रूडो से बयान की मांग की है। पार्टी नेता एंड्र्यू शीर ने कहा, प्रधानमंत्री के पास अगर इस साजिश का कोई सुबूत है तो वह उसे पेश करें। भारतीय मूल के लोगों के योगदान की करेगा सराहना


गुरुवार को विपक्ष संसद में प्रस्ताव रखकर कनाडा के विकास में सिख समुदाय और भारतीय मूल के लोगों के योगदान की सराहना करेगा। खालिस्तानी आंदोलन समेत आतंकवाद के सभी स्वरूपों की कठोर शब्दों में निंदा करेगा। आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों को महत्व देने और सम्मानित करने की निंदा करेगा। भारत की एकता और अखंडता के प्रति अपना समर्थन जाहिर करेगा। देखना होगा कि प्रधानमंत्री ट्रूडो और उनकी पार्टी के सिख सांसद इस प्रस्ताव पर कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे।

अटवाल शामिल हुआ था ट्रूडो के कार्यक्रम में शामिलउल्लेखनीय है कि ट्रूडो के हाल के भारत दौरे में उनकी पत्नी की अटवाल के साथ फोटो सामने आई थी। अटवाल मुंबई के ट्रूडो के कार्यक्रम में शामिल हुआ था और नई दिल्ली के डिनर में उसे आमंत्रित किया गया था। हालांकि भारतीय विरोध के बाद अटवाल को डिनर के लिए दिया गया निमंत्रण रद कर दिया गया था। अटवाल पर 1986 में पंजाब के तत्कालीन मंत्री मल्कीयत सिंह सिद्धू पर कनाडा में जानलेवा हमला करने का आरोप है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh