केंद्र सरकार ने जल्‍लीकट्टू को दोबारा शुरू करने के लिए मंजूरी दे दी है। कुछ संस्‍थाओं की आपत्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रथा पर रोक लगा दी थी। इसके दोबारा शुरू होने पर तमिलनाडु के निवासियों में खुशी की लहर है। लोगों ने इस फैसले का स्‍वागत करते हुए पटाखे फोड़े और मिठाइयां बांटी। राज्‍य की सीएम जयललिता ने पीएम को बधाई दी है। वहीं जानवरों पर क्रूरता को लेकर कुछ लोगों ने इस फैसले का विरोध भी किया है।


पोंगल पर जल्लीकटटू प्रथा है पुरानीतमिलनाडु में पोंगल त्योहार के मौके पर एक बैल गाड़ी की रेस की परंपरा है। इसका आयोजन सालों से हो रहा था। दौड़ जीतने और बैलों को उत्तेजित करने के लिए बैलों के संवेदनशील अंगों पर मिर्च का पाउडर लगाया जाता है। ऐसे में कई बार बैल हिंसक होकर लोगों पर भी हमला कर देते थे। जल्लीकटटू में बैलों के प्रति क्रूरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसके आयोजन पर रोक लगा दी थी। कोर्ट के फैसले में कहा था कि मानवीय संवेदनाओं के साथ लोगों को पशुओं की संवेदनाओं को भी समझना चाहिए। सिर्फ अपने मनोरंजन के लिए पशुओं के साथ हिंसक व्यवहार करना उचित नहीं है।फैसले का स्वागत के साथ विरोध भी
तमिलनाडु के लोग पोंगल पर इस परंपरा को दोबारा चालू करने के लिए सरकार पर काफी दबाव बनाए हुए थे। लोगों की भावनाओं को देखते हुए अधिसूचना जारी करके कुछ शर्तों के साथ इसे दोबारा चालू कर दिया। एक ओर जहां लोगों में खुशी की लहर है वहीं पेटा सहित कई लोग केंद्र सरकार के इस फैसले के विरोध में उतर आए हैं। पेटा से जुडे डॉ. चैतन्य कौडुरी ने कहा कि केन्द्र सरकार का फैसला न सिर्फ असंवैधानिक है बल्कि इससे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी अपमान हुआ है। वो केन्द्र सरकार के इस फैसले के विरोध में अदालत में अपील करेंगे। भाजपा नेता किरण बेदी ने कहा कि सभ्य समाज में जानवरों के साथ अमानवीय व्यवहार को स्वीकारा नहीं जाएगा। इसमें सुप्रीम कोर्ट के अपमान जैसी कोई बात नहीं है। केंद्रिय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि जानवरों के प्रति हिंसा न हो इसको ध्यान में रखते हुए गाइडलाइंस भी जारी की गई हैं।

Posted By: Prabha Punj Mishra