यमन संकट में फंसे इंडियंस को निकालने के लिए ऑपरेशन राहत के दौरान इंडिया के अस्थाई बेस के तौर पर काम में आए जिबूती पर चीन सैन्य अड्डा बनाएगा। इंडिया के हित प्रभावित होने का अंदेशा सैन्य महाशक्ति बनने की इच्छा पाले चीन ने मंगलवार रात अफ्रीका महाद्वीप के मुहाने पर स्थित जिबूती के लिए कई जहाजों में सैनिक रवाना कर दिए। ये सैनिक जिबूती में चीन का पहला सैन्य अड्डा स्थापित करने का कार्य करेंगे। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने ये जानकारी दी है।

इंडिया के लिए अहम
जिबूती संग इंडिया के रिश्ते हमेशा बेहद अच्छे रहे हैं। रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जिबूती हिंद महासागर के उत्तर-पश्चिमी छोर पर स्थित है। यहां पर अब चीनी सैन्य मौजूदगी से जाहिर तौर पर इंडिया के हितों को नुकसान पहुंचने की आशंका है। दरअसल, यह वह इलाका है जहां से होकर इंडिया के व्यापारिक जहाज बड़ी संख्या में गुजरते हैं। चीन ने पिछले साल जिबूती में रसद पहुंचाने का अड्डा विकसित करने का कार्य शुरू किया था। यहां से उसकी यमन और सोमालिया में मानवीय सहायता उपलब्ध कराने और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की योजना है। दोनों ही देश अशांत माने जाते हैं। वास्तव में यह चीन का नौसैनिक अड्डा है जिसे वह व्यापारिक कार्यों और मानवीय सहायता के लिए इस्तेमाल करने की बात कहता है।
क्या कहना है चीन का
शिन्हुआ के अनुसार सैनिकों और उपकरणों से भरे जहाज मंगलवार रात जिबूती के लिए रवाना हुए। जिबूती में चीनी सैन्य ठिकाने की स्थापना का निर्णय दोनों देशों के व्यापक हितों और मित्रतापूर्ण संबंधों के मद्देनजर लिया गया है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक इस सैन्य ठिकाने से उद्देश्यपूर्ण चीनी मिशनों, सुरक्षा, शांति स्थापना और मानवीय सहायता के कार्य किये जाएंगे। अफ्रीका और पश्चिम एशिया के लिहाज से ये कार्य सुविधाजनक होंगे। इस ठिकाने की स्थापना से सैन्य सहयोग, संयुक्त अभ्यास और समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा की सुविधा बढ़ेगी। ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में इसे सैन्य ठिकाने और रसद केंद्र का मिला-जुला रूप बताया है।
जानिए, जिबूती क्यों है अहम
जिबूती छोटे आकार का लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित देश है। यहीं से होकर दक्षिणी दिशा से लाल सागर में दाखिल हुआ जाता है। स्वेज नहर का रास्ता भी यहीं होकर है। इस इलाके में स्थित इथोपिया में अमेरिकी सैन्य अड्डा, इरीट्रिया में जापान का अड्डा और सोमालिया में फ्रांस का अड्डा है।
इंडिया को घेरने की रणनीति तो नहीं
इसमें कोई शक नहीं है कि चीन अकसर इंडिया का घेराबंदी करने की फिराक में रहता है। पहले इंडिया ने इंडिया के सभी पड़ोसी देशों में अपना प्रभुत्व बढ़ाकर इसकी शुरुआत की। इंडिया ने मोदी गवर्नमेंट के दौरान इस पर काम किया और अब पाक और चीन को छोड़कर ज्यादातर पड़ोसी देश इंडिया के साथ हैं। इसके बाद चीन ने सीपीईसी के जरिए कश्मीर में अपनी दखल शुरू की, जिसको लेकर इंडिया लगातार आवाज उठाता है। साथ ही, श्रीलंका में पोर्ट डेवलप करने और पनडुब्बी तैनाती से चीन ने इंडिया को घेरने की कोशिश की। इसके बाद ग्वादर पोर्ट के जरिए इंडियन सी रूट में उसने दखल बढ़ाने की कोशिश की। इसके जवाब में श्रीलंका संग संबंध बढ़ाकर इन प्रभावों को काटा। फिर ईरान संग चाबाहार पोर्ट को बनाने से उसने चीन को काउंटर किया। इंडिया एशिया-पैसिफिक में महाशक्ति है और वो न बढ़ पाए, इसी चक्कर में चीन चिंतित रहता है। इंडिया-अमेरिका और जापान बंगाल की खाड़ी में समुद्री युद्धाभ्यास कर रहे थे जिससे चीन खफा था। साथ ही, साउथ चाइना सी में भी इंडिया की दखल से सशंकित चीन ने ये कदम इंडिया को काउंटर करने के लिए उठाया है। ये रूट इंडिया के लिए काफी मायने रखता है। ऐसे में, साफ है कि यह काम इंडिया की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया गया है। हालांकि, इंडिया और चीन दोनों ही इस मुद्दे पर खामोश हैं मगर अंदर ही अंदर दोनों देश अपनी-अपनी रणनीति बनाने में लगे हुए हैं।
चीनी शिप ताइवान की सीमा में घुसा
चीन के एयरक्राफ्ट कैरियर वॉरशिप ने बुधवार को अलसुबह ताइवान की सीमा में अनाधिकारिक रूप से प्रवेश किया। यह शिप हांगकांग से लौट रहा था। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि शिप के सीमा में प्रवेश को संज्ञान में लिया गया है लेकिन यह खतरनाक नहीं माना गया है। ये वही जिबूती है जिसने ऑपरेशन राहत के दौरान इंडिया के अस्थाई बेस के तौर पर काम किया था। यमन संकट में फंसे भारतीयों को अदन से निकालकर लाने के बाद समुद्र मार्ग से यहां पहुंचाया गया था, जहां से वह हवाई और समुद्र मार्ग से सकुशल स्वदेश भेजे गए थे।

 

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Posted By: Prabha Punj Mishra