अगर आप चीन के एक गांव के लोगों के हिम्‍मत और इच्‍छा शक्‍ति के बारे में जानेंगे तो एक मशहूर कहावत को कुछ इस तरह बोलेंगे व्‍हेन देयर इज ए विल देयर इज ए टनल जीहां चीन के माहुआई गांव के लोगों ने 15 साल तक हाथों में छेनी और हथौड़े लेकर 650 फुट की सुरंग खोद कर अपने गांवों विकास से जोड़ लिया।

एक महिला ने किया नेतृत्व
दक्षिणी चीन के गोझिओ प्रांत के माहुआई गांव की रहने वाली देंग जिगझियांग ने गांव के कुछ लोगों का एक दल बनाया और उनको लेकर गांव और बाकी चीन के बीच दीवार की तरह खड़े पर्वत पर चढ़ गयीं। इन लोगों ने 15 साल तक मेहनत की और अपने हाथों में सिर्फ छैनी और हथौड़े लेकर एक 650 फुट लंबी सुरंग खोद ली। ये सुरंग दूसरी ओर बनी देश की एक मुख्य सड़क से जुड़ती है। अब इसके जरिए गांव वालों को ना सिर्फ आवागमन में सुविधा हो गयी बल्कि विभिन्न प्रकार के व्यवसाय करके वे विकास के मार्ग पर भी आगे बढ़ रहे हैं।

इत्तेफाक से मिली गुफा से मिला आइडिया
इस टनल को बनाने का विचार देंग को एक गांववासी के ये बताने पर मिला कि पहाड़ में छोटी सी गुफा है जिससे निकल शहर की ओर जाने वाली सड़क पर दो घंटे से काफी कम समय लगता है। बस देंग ने सोच लिया कि इसी गुफा को चौड़ा करके एक रास्ता बनाया जाए ताकि बच्चों को स्कूल भेजने से लेकर व्यवसायिक सुविधाओं को हासिल करना आसान हो जाए। इसके लिए उन्होंने गांव के कुछ लोगों राजी किया और सुरंग खोदनी आरंभ कर दी।
काम चलाऊ रास्ता नहीं मजबूत पक्की सड़क का संघर्ष
गांव के लोग खासे गरीबी में जीवन बिता रहे थे और वहां बिजली भी नहीं थी। ऐसे में एक काम चलाऊ रास्ता बना कर आने जाने की सुविधा मिलने के बाद ही वे संतुष्ट थे। पर देंग गांव के हर घर में गयीं और लोगों को समझाया कि पक्का रास्ता कितना महत्वपूर्ण है। काम चलाऊ मार्ग कभी बारिश या भूस्खलन से बंद हो सकता है या और कोई भी हादसा हो सकता है। अंतत लोगों ने उनकी बात को समझा और मजबूत पक्का मार्ग तैयार किया अब दो घंटे की दूरी महज 15 मिनट में तय हो जाती है। 

पक्के इरादे वाली देंग
गांव के लोगों ने बताया कि ये देंग का हौंसला और पक्का इरादा था जिसकी वजह से ये सुरंग बन सकी वरना गरीबी और रोजमर्रा के जीवन की परेशानियों में काम चलाऊ मार्ग बनाने के बाद गांव वालों ने कोशिश छोड़ दी होती। देंग ने सबको पक्के रास्ते का सिर्फ महत्व समझाया बल्कि वो सबसे आगे चलीं। जब भी वो किसी परेशानी की वजह से नहीं आ पातीं थीं तो उनकी बेटी उनकी जगह काम करती थी। देंग के पति पत्थरों को हटाने और ब्लाकेज को साफ करने के लिए हाथें से एक्सप्लोसिव लगाते थे जिससे उनके हाथों के नाखून तक गायब हो गए हैं। पर ये इसी हिम्मत का परिणाम है कि 1999 में टनल काम शुरू होने के पहले गरीबी की मार झेल रहे गांव में अब करीब 80 प्रतिशत लोगों के पास नये मजबूत घर हैं, बिजली है खेती करने के साधन हैं और दुसरे बिजनेस भी हैं। और ये बहुत बड़ी बात है।

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Posted By: Molly Seth