कोरोना टला नहीं, मलेरिया का मंडराने लगा डर
मच्छरों के प्रकोप को देखते हुए मलेरिया विभाग फॉगिंग करवाने में जुटा
कोविड-19 वार्ड के साथ क्वारंटाइन सेंटर्स पर भी हो रहा सेनेटाइजेशन Meerut । कोरोना वायरस की आफत अभी टली नहीं कि मलेरिया का खतरा मंडराने लगा है। दरअसल, मेरठ जिले में कोरोना के मरीजों पर भी मच्छर जनित रोगों का खतरा मंडराने लगा है। जिससे लोगों को बचाना स्वास्थ्य विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। आने वाले खतरे को भांपते हुए जिला मलेरिया विभाग ने सेनेटाइजेशन के साथ ही फॉगिंग भी शुरू कर दी है। ये है स्थिति मौसम में नमी की वजह से वातावरण में मच्छरों की आमद बढ़ गई हैं। हालांकि जिले में इस साल मलेरिया का एक ही मरीज फरवरी में सामने आया था। बदलते मौसम को देखते हुए जिला मलेरिया विभाग कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है। ऐसे में एहितयातन जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।रखें ध्यान
- मौसम में नमी बढ़ने से वैक्टर जनित रोगों का खतरा भी बढ़ सकता है। - मौसस में नमी के चलते मच्छर पनपने शुरू हो गए हैं। - बरसात के चलते मच्छरों को अनुकूल वातावरण मिल रहा है।- आस-पास पानी न इकट्ठा न होने दें। मच्छर रूके हुए पानी में अंडे देते हैं।
- अगर कहीं पानी में मच्छरों ने अंडे दे दिए हैं तो वहां मिट्टी का तेल का छिड़काव करावा दें।
फैक्ट फाइल 2020-2019-2018-2017 बीमारी मलेरिया- 1- 61- 53- 93 डेंगू- 0- 215-153-660 60 - नई मल्टीपल लार्वा मशीनें आई हैं। 20 - पुरानी मल्टीपल लार्वा मशीनें हैं। 15 - गांवों में फॉगिंग करवाई जा चुकी है। - सभी क्वरंटाइन सेंटर्स में पायराथ्रम स्पेस स्प्रे करवाया जा रहा है। - 2500 हजार लीटर सोडियम हाइपोक्लोराइड का प्रयोग डीएमओ इनडोर सेनेटाइजेशन में कर चुका है। - 5 टीमों में 15 सदस्य सेनेटाइजेशन में लगे हुए हैं। ऐसे फैलता है मलेरिया मलेरिया रोग एनाफिलीज मादा मच्छर के काटने से फैलता है। इससे निकलने वाला प्रोटोजुअन प्लाच्मोडियम शरीर में ब्लड के साथ मिलने लगता है। इसमें दो तरह के कीटाणु होते हैं। एक प्लाच्मोडियम फेल्सीपेरम यानी पीएफ और दूसरा प्लाच्मोडियम वाईवेक्स यानी पीवी होता है। पीएफ जानलेवा हो सकता है जबकि पीवी सामान्य मलेरिया होता है। ये है मलेरिया के लक्षण सिर में तेज दर्द उल्टी आना या जी मिचलाना कमजोरी व थकान शरीर में खून की कमी मांसपेशियों में दर्द होनामच्छरों से बचाव के लिए फॉगिंग करवाई जा रही है। कोरेना वार्ड ओर क्वरंटाइन सेंटर्स में भी मरीजों को बचाने के लिए स्प्रे किया जा रहा है। हालांकि अभी वेक्टर बोर्न बीमारियों का सीजन नहीं हैं, लेकिन मौसम में नमी को देखते हुए सभी एहितयात बरती जा रही हैं।
सत्यप्रकाश, जिला मलेरिया अधिकारी, मेरठ