Coronavirus संकट के बीच पाकिस्तान में भूख से मर गई प्रेग्नेंट महिला, पाकिस्तान के पीएम इमरान बाज नहीं आ रहे तो विदेश मंत्रालय ने दिया मुंहतोड़ जवाब
इस्लामाबाद (आईएएनएस/एएनआई)। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश में लगाए गए लॉकडाउन के बीच भुख के कारण पाकिस्तान के सिंध में एक गर्भवती महिला की मौत हो गई है। एक्सप्रेस न्यूज की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सिंध प्रांत में मीरपुर खास जिले के झुडो शहर में महिला की मौत हुई है। महिला के पति अल्लबख्श ने कहा कि उसे लॉकडाउन के कारण कोई काम नहीं मिल रहा है, जिसके कारण उसे अपने परिवार के लिए भोजन का प्रबंधन करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उसके परिवार में छह बच्चे भी है। अल्लबख्श ने कहा कि उसके पास अपनी पत्नी को दफनाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। स्थानीय निवासियों ने अंततः उसकी पत्नी को दफनाने के लिए दान के माध्यम से धन जुटाया।
मजदूरों ने किया है विरोध प्रदर्शनइस घटना ने पाकिस्तान के इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार के उन दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसमें कहा जा रहा था कि वह गरीब लोगों को हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान में मजदूरों के बीच गुस्सा बढ़ रहा है क्योंकि लॉकडाउन लागू होने से पहले उन्होंने जो काम किया था उसके लिए उन्हें अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिकों और अन्य कर्मचारियों ने इस मुद्दे पर कराची में बड़ी संख्या में प्रदर्शन किया है।
भारत ने पाक को फटकारावहीं, भारत ने रविवार को नई दिल्ली को कोरोना वायरस से निपटने के बारे में 'विचित्र' टिप्पणी करने के लिए पाकिस्तान को फटकार लगाते हुए कहा कि इस्लामाबाद अपने पड़ोसियों के खिलाफ आंतरिक मामलों के 'अबिस्मल' से ध्यान हटाने के लिए 'आधारहीन आरोप' लगा रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने देर रात अपनी एक ट्वीट में कोरोना वायरस संकट के दौरान भारत पर धर्म के आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगाने की कोशिश की, इसपर विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को उनके 'अल्पसंख्यक समुदायों' की चिंताओं को दूर करने की सलाह दी, जो वास्तव में भेदभाव के शिकार हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, 'पकिस्तान इस तरह की टिप्पणियों से अपने आंतरिक मामलों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है। कोरोना से लड़ने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, वे अपने पड़ोसियों पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। इसके अलावा अगर अल्पसंख्यकों के विषय पर बात करें तो उन्हें खुद के अल्पसंख्यक समुदायों की चिंताओं को दूर करनी चाहिए, जिनके साथ वास्तव में भेदभाव किया गया है।'