कोरोना वायरस का असर बाजार पर भी पड़ा है। पूरी दुनिया में फैली इस माहमारी के चलते बाजार में काफी उतार-चढ़ाव आया है। आने वाले समय में इसका लोगों की आय पर ज्यादा असर न पड़े। इसके लिए भारतीय उद्योग परिसंघ ने सरकार को हर व्यक्ति को 5 हजार रुपये देने का सुझाव दिया है।

नई दिल्ली (आईएएनएस) कोरोना वायरस की मार आम आदमी पर ज्यादा न पड़े इसके लिए उनके खाते में पांच हजार रुपये डाले जाएं। यह कहना है भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) का। उघोग जगत का मानना है कि सालाना पांच लाख से कम आय वालों के खाते में सीधे 5000 रुपये नकद ट्रांसफर किए जाएं। वहीं 60 साल से ऊपर वालों के लिए यह रकम दोगुनी होगी। उद्योग चैंबर ने कोविड -19 को लेकर प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) को इंडस्ट्री और अर्थव्यवस्था पर एक नोट भेजा है, जिसमें कहा गया, "यह उपभोक्ता मांग को बढ़ावा देने के लिए एक अस्थायी उपाय होगा।" बताते चलें सीआईआई ने सरकार को जो यह सुझाव दिया है, आज से 12 साल पहले अमेरिका ने ऐसा ही किया था। 2008-09 में आई आर्थिक मंदी के दौरान अमेरिका ने अपने नागरिकों को आर्थिक सहायता मुहैया कराई थी।

कहां से आएगा इतना पैसा

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) का कहना है कि कोविड-19 बाजार को थोड़ा सुस्त कर देगा। ऐसे में मध्यम वर्गीय या उनसे नीचे लोगों को थोड़ी बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप आधार कार्ड लिंक खातों में पांच हजार रुपये जमा करते हैं तो राजकोष की करीब एक प्रतिशत राशि इसमें खर्च होगी। यानी कि इसमें 2 लाख करोड़ रुपये खर्च हो जाएंगे। यह पैसा कहां से आएगा, इसको लेकर सीआईआई का कहना है कि, कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है ऐसे में भारत सरकार को पहले तेल खरीदने के भारी रकम चुकानी पड़ती थी। इस समय वो खर्च काम कम हो गया है। तेल की कीमतें नीचे आना अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत हैं। 10 डॉलर प्रति लीटर की गिरावट से तेल आयात बिल में 15 बिलियन डॉलर की बचत होती है। इससे सरकार के पास अतिरिक्त खर्च करने के लिए राजकोषीय धन तैयार हो जाएगा। ऐसे में 2 लाख करोड़ रुपये के बजट के साथ हम 20 करोड़ लोगों को 10,000 रुपये या 40 करोड़ लोगों को 5,000 रुपये मुआवजा दे सकते हैं।

एक महीने का राशन दिया जाए

उद्योग जगत के अनुमान और श्रम शक्ति सर्वेक्षण के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि लगभग 20 करोड़ मजदूर हैं। ये सबसे कमजोर वर्ग हैं और इस महामारी से इन्हें सबसे ज्यादा नुकसान होगा। सीआईआई ने कहा, "उन्हें निश्चित रूप से सरकार के वित्तीय संसाधनों से मुआवजा दिया जा सकता है।" अन्य राजकोषीय उपायों के संबंध में, परिसंघ ने सुझाव दिया है कि एक महीने का राशन गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को वितरित किया जा सकता है और दैनिक वेतन भोगियों को एफसीआई के साथ उपलब्ध खाद्य स्टॉक का उपयोग कर दिया जा सकता है।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari