Gorakhpur: 2007 में आईपीएल-1 की शुरुआत हुई तो लगा कि क्रिकेट को नई जान मिल गई. यह ऐसे क्रिकेटर के लिए वरदान साबित हुआ जो किसी वजह से अपने देश की नेशनल टीम में जगह नहीं बना पाये. आईपीएल में सब कुछ रंगीन था. मैच में दर्शकों को खींचने के लिए दुनिया के बड़े बड़े खिलाड़ियों को तो शामिल किया ही गया. साथ ही हर चौके छक्के पर अपनी अदाओं से बिजली गिराने वाली चीयर्सलीडर्स इस खेल की यूएसपी साबित हुईं. चौको-छक्कों की बारिश के बीच व्यूवर्स ने इसे एंटरटेनमेंट के बेस्ट ऑप्शन के तौर पर एडॉप्ट किया. चाकचौंध के बीच लोगों को एक चीज नहीं नजर आई वह था इसमें इनवॉल्व होने वाला 'पैसाÓ. इसे पैसे की ताकत ही कहेंगे कि पूरी दुनिया की बड़ी-बड़ी टीम के प्लेयर्स को एक दूसरे के ऑपोजिट खेलने के लिए लाकर खड़ा कर दिया. आईपीएल 6 में हुई घटना के बाद जहां इसकी चमक फीकी पड़ने लगी वहीं लोगों को आईपीएल से खराब हो रही क्रिकेट की इमेज साफ तौर पर नजर आने लगी. इस कड़वे सच पर जब आई नेक्स्ट ने लोगों के दिलों को टटोला तो चौंका देने वाले रिजल्ट सामने आए.

आईपीएल ने खराब कर दी क्रिकेट की इमेज
वन डे क्रिकेट से कई गुना ज्यादा व्यूवर्स और पैसा बटोरने वाले आईपीएल ने क्रिकेट की इमेज को धो डाला। जिस तरह से आईपीएल-6 में मैच फिक्सिंग का सच सामने आया, उसके बाद मानो लोगों को क्रिकेट से इंटरेस्ट ही कम होने लग गया। आई नेक्स्ट के सर्वे में 83 परसेंट लोगों ने यह माना कि आईपीएल की वजह से ही जेंटलमेंस गेम कहलाने वाले क्रिकेट की इमेज खराब हो रही है और अब यह सिर्फ क्रिकेट नहीं बल्कि एंटरटेनमेंट का एक जरिया बन चुका है। अब प्लेयर्स में भी क्रिकेट का जज्बा नहीं रह गया है बल्कि वह सिर्फ पैसे और ग्लैमर के पीछे भाग रहे हैं जो आईपीएल के थ्रू उन्हें आसानी से मिल जा रहा है। वहीं सिर्फ 12 परसेंट लोगों ने इस बात से इनकार कर दिया और 5 परसेंट लोगों ने इस मामले में कुछ कहने से मना कर दिया।
आईपीएल सट्टेबाजी का बेस्ट प्लेटफॉर्म
आईपीएल में जैसे-जैसे ग्लैमर बढ़ता जा रहा है, पैसे का इनवॉल्वमेंट भी लगातार बढ़ता जा रहा है। आईपीएल एक तरफ जहां एंटरटेनमेंट का बेस्ट प्लेटफॉर्म साबित हुआ है, वहीं सट्टेबाजों के लिए भी यह किसी वरदान से कम नहीं है। सर्वे के दौरान गोरखपुराइट्स ने माना कि सट्टेबाजी का बेस्ट प्लेटफॉर्म आईपीएल है। इसका रीजन भी यह है कि सिर्फ 20 ओवर का गेम है। कौन जीतेगा और कौन हारेगा? इसका फैसला लास्ट बॉल तक नहीं किया जा सकता। इस बात को प्ले ऑफ में पहुंचने के लिए मुंबई साबित कर ही चुकी है। गोरखपुराइट्स की माने तो आईपीएल में सट्टेबाजों ने खूब चांदी काटी। पहली बाल से लेकर लास्ट बॉल तक सट्टे लगे। इसमें हर चौके, छक्के, विकेट, सिंगल, डबल, डॉट यहां तक कि नो और वाइड बॉल पर भी सट्टे लगे। अगर इसके बाद भी कोई कहता है कि सट्टेबाजी को बढ़ावा नहीं मिलता तो यह उसकी बड़ी भूल होगी।
लीगल नहीं होनी चाहिए बेटिंग
आईपीएल में हुई सट्टेबाजी पर जहां इंडियंस और क्रिकेट लवर्स को झटका लगा, वहीं विदेशों में भी इसकी खूब चर्चा रही। इस बीच यह बात भी सामने आई कि बेटिंग को इंडिया में भी लीगल कर देना चाहिए। जिससे कि लोग बिना डर के इसमें पैसा लगा सकें, यानि कि आईपीएल को प्योर बिजनेस की तरह ट्रीट किया जाए। एक तरफ जहां यह चर्चाएं चल रही हैं वहीं सर्वे के दौरान गोरखपुराइट्स ने बेटिंग को लीगल न होने की बात कही। उनका कहना था कि एक तो आईपीएल की वजह से क्रिकेट के मायने पहले ही बदल चुके हैं, अब अगर इसमें बेटिंग भी स्टार्ट हो जाएगी तो क्रिकेट का मजा बिल्कुल फीका रह जाएगा, क्योंकि हर पैसा लगाने वाला पैसे की ताकत के बल पर मैच अपनी झोली में डालना चाहेगा और वह जिसे चाहेगा वह ही विनर बनेगा।
भटक चुके हैं यूथ
आईपीएल की इस चकाचौंध ने न सिर्फ प्लेयर्स का क्रिकेट के प्रति डेवोशन कम किया है, वहीं दूसरी ओर इससे आने वाली नई जनरेशन को भी खराब किया है। वह ऐसे कि आईपीएल में उन्होंने सभी को पैसे की चमक दिखा दी, जिससे कि वह गेम न खेलकर सिर्फ पैसा ही बटोरने में लग गया। आज का यूथ इंडियन टीम में जगह बनाने के लिए नहीं बल्कि आईपीएल में किसी फ्रैंन्चाइजी में जगह बनाने के लिए ज्यादा मेहनत कर रहा है। अब उनकी निगाह रिकॉर्ड बनाने पर नहीं बल्कि चौके-छक्के मारकर पैसा कमाने पर लगी हुई है। अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब आईपीएल की वजह से लोगों का क्रिकेट पर से भरोसा उठ जाएगा और लोग हर मैच को ही फिक्स मानकर बैठ जाएंगे।
क्या सिर्फ श्रीसंत ही शामिल?
आई नेक्स्ट के इस सर्वे में एक बात सामने आई जिसने एक सवाल उठाने पर मजबूर कर दिया। आईपीएल सर्वे के दौरान डॉ। अनुराग ने पूछा कि क्या आईपीएल की स्पॉट फिक्सिंग में सिर्फ श्रीसंत ही शामिल थे? अगर हां तो कैसे? क्योंकि अगर बॉलर चाह भी ले कि वह एक ओवर में 20 रन देगा तो क्या बैट्समैन 20 रन बना लेगा? क्योंकि बॉलर लाख चाह ले अगर बैट्समैन और फील्डर नहीं चाहेंगे तो रन नहीं बन सकता, यानि कि कहीं वह पूरा मैच तो फिक्स नहीं था। क्योंकि बिना पूरा मैच फिक्स हुए बिना न तो बॉलर 20 रन दे सकता है और न बैट्समैन 20 रन बना सकता है।
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में सट्टेबाजी के आरोपों के बाद उठी कंट्रोवर्सीज के बाद कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। इन सब के बारे में आप क्या सोचते हैं, ये जानने की कोशिश की आई नेक्स्ट ने

1. क्या आईपीएल की वजह से युवा खिलाड़ी पथभ्रष्ट हुए हैं। उनका सपना नेशनल टीम के बजाए आईपीएल और पैसा हो गया है?
(ए) 52 परसेंट हां
(बी) 29 परसेंट नहीं
(सी) 19 परसेंट कह नहीं सकते
2. क्या आईपीएल ऐसे अवसर उपल?ध कराता है जहां सट्टेबाजी को बढ़ावा मिलता है?
(ए) 72 परसेंट हां
(बी) 24 परसेंट नहीं
(सी) 4 परसेंट कह नहीं सकते
3. क्या भारत में बेटिंग को लीगल बना देना चाहिए?
(ए) 35 परसेंट हां
(बी) 61 परसेंट नहीं
(सी) 4 परसेंट कह नहीं सकते
4. क्या आईपीएल के कारण जेंटलमेंस गेम कहलाने वाले क्रिकेट की छवि को नुकसान पहुंचा है और ये खेल प्योर इंटरटेनमेंट में तब्दील हो चुकी है?
(ए) 83 परसेंट हां    
(बी) 12 परसेंट नहीं
(सी) 5 परसेंट कह नहीं सकते
5. क्या आईपीएल को बंद कर देना चाहिए?
(ए) 40 परसेंट हां
(बी) 52 परसेंट नहीं
(सी) 8 परसेंट कह नहीं सकते


report by : syedsaim.rauf@inext.co.in

Posted By: Inextlive