- प्रदेश में रेगुलर कोर्सेज की ओर बढ़ रहा छात्रों का रुझान

- बीटेक के लिए बीते सालों से नहीं मिल रहे एडमिशन

- इंजीनियरिंग संस्थानों को नहीं मिल रहे तकनीकि कोर्स में दाखिले

DEHRADUN: प्रदेश में इंजीनियरिंग की तुलना में रेगुलर कोर्सेज की मांग लगातार बढ़ रही है। बीते सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो जहां इंजीनियरिंग में ब्भ् परसेंट पर भी एडमिशन किए गए, वहीं बीए और बीएससी की मेरिट 7भ् परसेंट से ऊपर देखने को मिली। इस साल भी हालात बीते सालों से जुदा नहीं है। आलम यह है कि जहां प्रदेश के तकनीकि संस्थानों को एडमिशन के लिए छात्र ढूंढे नहीं मिल रहे हैं, वहीं रेगुलर कोर्सेज संचालित करने वाले संस्थानों में छात्रों की मेरिट हाई जाने के कारण मुश्किल से एडमिशन मिल रहा है।

क्भ् परसेंट एडमिशन भी नहीं

उत्तराखंड में स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग से मुंह मोड़ रहे हैं। यह हम नहीं बीते कई सालों के आंकड़े खुद बयां कर रहे हैं। आलम यह है इस साल भी प्रदेश के तकनीकि संस्थानों की करीब साढ़े ग्यारह हजार सीटों में से क्भ् परसेंट सीटों पर भी एडमिशन नहीं हो पाए हैं। बीते कई सालों से इंजीनियरिंग कोर्सेज में एडमिशन की तस्वीर बिगड़ती जा रही है। साल दर साल बिगड़ते हालातों को काबू करने के लिए बारहवीं पास छात्रों को एडमिशन देकर खाली सीटों को भरने का काम किया जाता है। जानकारों की मानें तो सरकार इस साल भी कॉलेजों को उबारने के लिए यह कदम उठाने का फैसला कर सकती है, लेकिन एक ओर जहां गुणवत्ता की बात कही जाती है वहीं इंजीनियरिंग संस्थानों को सूनापन दूर करने के लिए उठाए जाने वाले यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता को किस दिशा में लेकर जाएंगे। यह समझा जा सकता है।

रेगुलर कोर्सेज का क्रेज

रेगुलर कोर्सेज की बात की जाए तो बीए, बीएससी और बीकॉम जैसे कोर्स को लेकर युवाओं में काफी क्रेज है। यही कारण है कि राजधानी के चार डिग्री कॉलेजों में हजारों छात्रों को एडमिशन तक नहीं मिल पाता है। मेरिट बेस पर एडमिशन होने के कारण यहां आ‌र्ट्स जैसे विषयों में भी 7ख् परसेंट से नीचे पर दाखिला नहीं मिल रहा। इस साल एमकेपी, एसजीआरआर, डीएवी और डीबीएस में अकेली आ‌र्ट्स की सीटों पर एडमिशन के लिए मेरिट 70 परसेंट से ऊपर रही। स्टूडेंट्स के इसी क्रेज को देखते हुए अब प्राइवेट संस्थानों ने भी रेगुलर कोर्सेज का रुख करना शुरू कर दिया है।

Posted By: Inextlive