दाल और बेसन में खतरनाक मिलावट
एफएसएसएआई ने चेताया, गाइडलाइन की जारी
फूड विभाग की अभियान चलाने की तैयारी Meerut. पीली दाल और बेसन में मिलावट खोर प्रतिबंधित दाल व खतरनाक केमिकल मिला रहे हैं. ये केमिकल इतने खतरनाक हैं कि इससे कैंसर, किडनी फेल, लीवर डैमेज, दिल व दिमाग के रोग, पैरालाइसिस जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. लोगों को इससे बचाने के लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑफ इंडिया यानी एफएसएसएआई ने अब इस पर गाइडलाइन जारी कर दी है. इसके अलावा फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानी एफएसडीए को भी मिलावट खोरों को पकड़ने के लिए अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं. मुनाफे के लिए चल रहा खेलएफएसएसएआई के अनुसार मिलावटखोर दाल में मैटानिल येलो कलर और खेसारी दाल मिलाकर खेल कर रहे हैं. खेसारी दाल यूपी में पूरी तरह से बैन हैं, लेकिन मिलावट खोर न केवल इससे बेसन बनाकर नमकीन में भी इसका प्रयोग कर रहे हैं. अरहर दाल मार्केट में 80 रुपए प्रति किलो है और खेसारी दाल सिर्फ 35 से 40 रुपये प्रति किलो ही मिल जाती हैं जिससे मुनाफा अधिक होता है. जबकि मेटानिल येलो कलर से दाल या बेसन से बनी चीजों का रंग काफी ब्राइट हो जाता है, चमक आ जाती है. खाद्य पदार्थो को आकर्षक दिखाने के लिए इस प्रयोग किया जाता है.
ऐसे पहचाने दाल खेसारी दाल बिना बारिश के भी हो जाती है. देखने में यह लगभग अरहर दाल की तरह होती है लेकिन पैदावार दोगुनी से अधिक होती है. चने की दाल और अरहर की दाल में इसे मिला दिया जाता है. हालांकि यह दाल अरहर की तुलना में थोड़ी चौकोर व चपटी दिखती है व दूसरी तरफ से उभरी होती है. रंग हल्का पीला होता है. जबकि अरहर की दाल गोलाकार होती है. हो सकता है कैंसर कैंसर एक्सपर्ट डॉ. उमंग मित्थल के मुताबिक खेसारी दाल से लैथरिज्म डिस्आर्डर होता है, जिसके कारण शरीर के निचले हिस्से में अपंगता होती है जबकि मेटानिल येलो कलर से कैंसर हो जाता है. इसी कारण 1961 में देशभर में इसे बैन कर दिया था. कर सकते हैं शिकायत मिलावट की शिकायत करने के लिए एफएसएसएआई ने लोगों से भी अपील की है. अगर किसी को समस्या है तो वह फएसएसएआई एप पर, फूड सेफ्टी कनेक्ट पोर्टल पर या फूड विभाग की वेबसाइट पर शिकायत कर सकता है.बेसन की मिलावट को पकड़ने के लिए हम लगातार अभियान चला रहे हैं. खेसारी दाल प्रतिबंधित हैं. आगे भी योजना बनाकर छापेमारी की जाएगी. वहीं लोगों को भी अवेयरनेस के लिए कार्यक्रम चलाएं जा रहे हैं.
अर्चना धीरान, डीओ, एफएसडीए