सूत्रों के अनुसार दिल्‍ली सरकार की भ्रष्‍टाचार निरोधक शाखा के प्रमुख और आईपीएस ऑफीसर मुकेश कुमार मीणा पर अपना शिकंजा काने की तैयारी में है।


चार्जशीट लाने की तैयारी कर रही है सरकार पता चला है कि मुकेश कुमार मीणा को कानूनी दायरे में लाने के लिए पर्दा खरीद घोटाले के मामले में दिल्ली सरकार द कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर की धारा 200 के तहत मीणा के खिलाफ चार्जशीट दायर कर सकती है। सरकार इस मामले में कार्यवाही के लिए श्ीघ्र ही केंद्रीय सर्तकता आयोग से भी  राय लेगी। वह ये जानना चाहती है कि उक्त मामले में सजा का क्या प्रावधान है। 2005 का है पर्दा घोटाला
असल में इसी साल 18 जून को एसीबी में प्रमुख बनाये गए संयुक्त आयोग मीणा के खिलाफ दिल्ली सरकार के सर्तकता विभाग को पर्दा घोटाले में शामिल होने की शिकायत मिली थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि वर्ष 2005 में जब मुकेश मीणा झड़ौदा स्थित पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में प्रिसिपल थे उस समय लाखों रुपए का पर्दा घोटाला हुआ था। इसमें लाखों रुपए के फर्जी बिल लगाये गए थे। सर्तकता विभाग की जांच में आरोप सही निकले थे


ये भी जानकारी मिली है कि सर्तकता विभाग ने मामले की जांच की थी सिसमें ये आरोप सही पाए गए थे। इसमें पता चला था कि घोटाले में पांच पांच हजार के करीब 322 से अधिक बिल बनाए गए थे। ये सभी बिल एक ही दिन की तारीख पर अंकित हैं। सभी बिल एक ही कंपनी के हैं मगर उन बिलों पर कंपनी का जो पता दिया गया है उस पर जब सर्तकता विभाग ने जांच की तो वहां कोई कंपनी नहीं मिली। बल्कि वो पता नारायणा के एक सामुदायिक भवन का है। पांच हजार रुपए से कम राशि के बिल इसलिए बनाए गए क्योंकि इस राशि के लिए टेंडर देने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है। ये कुल रकम करीब 14 लाख रुपए से ज्यादा की है।

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Posted By: Molly Seth