राजस्‍थान के अजमेर में स्‍िथत भगवान देवनारायण का मंदिर तो आपने भी सुना होगा। अगर नहीं सुना है तो हम आपको बताते हैं। यहां पर इंसानों के साथ ही ऊंचे-ऊंचे पहाड़ भी मंदिर के सामने सिर झुकाते हैं। जिससे इस मंदिर से भक्‍तों की गहरी आस्‍था जुड़ी हैं। आइए जानें इस मंदिर और यहां के लोगों की अनोखी आस्‍था के बारे में...


सर्वप्रथम स्पर्श किया अजमेर के देवमाली गांव में स्थित देवमाली मंदिर काफी प्रसिद्ध है। यह गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायण की कर्म स्थली के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर के प्रति गुर्जर समाज की एक अनोखी आस्था है। यहां पर इंसानों के साथ इंसानों के साथ ही चट्टानें भी भगवान को नमन करती हैं। माना जाता है कि उसके किनारे मौजूद ऊंची-ऊंची चट्टाने मंदिर की वजह से ही आज झुकी हुई हैं। पहाड़ी के पास स्थित इस मंदिर की स्थापना को लेकर कहा जाता है कि जब भगवान देवनारायण स्वर्ग से धरती पर आए थे इस जगह को उन्होंने सर्वप्रथम स्पर्श किया था। आधुनिकता से दूर
इसे लोगों की आस्था का उदारहण ही माना जाता है। इस गांव के लोगों के पास अपनी खुद की जमीन नहीं है। गांव की पूरी जमीन सरकारी कागजों में मंदिर के नाम पर दर्ज है। इतना ही नहीं भगवान देवनारायण्ा को प्रकृति से प्रेम होने की वजह से आज भी लोग यहां पर कच्चे घरों में रहना पसंद करते हैं। इतना ही नहीं यहां के लोग आधुनिकता से परहेज करते हैं। लोगों का मानना है कि इससे उन्हें एहसास होता है कि वह भगवान के घर में रह रहे हैं। लोगों का मानना है कि भगवान देवनारायण उनकी हर एक इच्छा को पूरा करते हैं।

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Posted By: Shweta Mishra