तीसरी बार जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुई सपा प्रत्याशी रेखा सिंह

बसपा को 63 वोटों से दी करारी मात, पूर्व अध्यक्ष केशरी को मिले सिर्फ 12 वोट

बबिता सिंह को खुद के अलावा मिला सिर्फ एक वोट

ALLAHABAD: आम तौर पर प्रदेश की सत्ता के साथ रहने वाली जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए इलाहाबाद में हुए चुनाव में कोई अजूबा नहीं हुआ। कोई समीकरण नहीं चला। पार्टी लाइन थी ही नहीं तो क्रास करने का सवाल भी नहीं था। मुकाबला पूरी तरह से एकतरफा रहा। समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी रेखा सिंह ने 63 वोटों से शानदार जीत दर्ज की। बसपा की केशरी देवी पटेल को सिर्फ 12 वोट मिले। तीसरी प्रत्याशी अपना दल की बबिता सिंह को सिर्फ दो वोटों से संतोष करना पड़ा। जीत से सपाई जोश में दिखे। उन्होंने मतदान की प्रक्रिया समाप्त होने के समय से ही पटाखा फोड़कर जश्न मनाना शुरू कर दिया था। इस पल को यादगार बनाने के लिए सपा के कई विधायक भी मौजूद रहे।

भारी जीत, एकतरफा रहा चुनाव

इस बार चुनाव में तीन प्रत्याशियों ने दावेदारी ठोकी थी। सपा से रेखा सिंह, बसपा से केशरी देवी पटेल और अपना दल से बबिता सिंह ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के मैदान में उतरी थीं। हालांकि लड़ाई सपा और बसपा के बीच मानी जा रही थी। दोनों प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। गुरुवार को सुबह 11 बजे जिला पंचायत भवन पर वोटिंग का दौर भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुरू हुआ। जैसे-जैसे समय बीता चुनाव एक तरफा नजर आने लगा। सपाई खेमे जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा था। शाम चार बजे घोषित हुए परिणाम में रेखा सिंह को 75 वोट मिले तो केशरी देवी को महज 12 मतों से संतोष करना पड़ा। बबिता सिंह को दो वोट मिले। कुल 90 सदस्यों ने मतदान किया, जिसमें एक वोट अवैध घोषित कर दिया गया। जिला पंचायत भवन पहुंचे डीएम संजय कुमार ने विजयी प्रत्याशी को प्रमाण पत्र देकर जीत की बधाई दी।

बेदम समीकरण, दिखी सत्ता की हनक

सूबे में सपा की सरकार होने के चलते पहले से ही जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में सत्ता की हनक की उम्मीद लगाई जा रही थी। फिर भी पर्दे के पीछे से भाजपा की चुनावी गणित और अचानक अपना दल के नामांकन कराने से चुनावी समीकरण बदलने लगे थे। उम्मीद की जा रही थी कि चुनाव दिलचस्प होगा और परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं। बावजूद इसके जब रिजल्ट घोषित हुआ तो दूध का दूध और पानी का पानी हो चुका था। तीन बजे तक चली वोटिंग के दौरान सपा प्रत्याशी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव नजर आ रहे थे तो बसपा और अपना दल प्रत्याशी के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती थीं।

बिना पर्स और मोबाइल गए वोट देने

चुनाव के दौरान पुलिस और प्रशासन ने जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था कर रखी थी। जिला पंचायत भवन के भीतर केवल सदस्यों को जाने की अनुमति थी। महिलाएं और पुरुषों को बिना पर्स और मोबाइल के जाने की छूट दी गई थी। सुबह ही कमिश्नर राजन शुक्ला, डीएम संजय कुमार, एसएसपी केएस इमेनुएल समेत अन्य अधिकारियों ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। इस दौरान बाहरी तत्वों को पकड़कर पूछताछ भी की गई। इस दौरान पुलिस को बसपा समर्थकों को खदेड़ने के लिए लाठियां भी भांजनी पड़ीं। पांच लोगों को पुलिस पकड़कर थाने ले गई।

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2006 में पहली बार बनी थीं अध्यक्ष

मांडा की रहने वाली रेखा सिंह तीसरी बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर चुनी गई हैं। पहली बार वह 2006 में चुनी गई थीं। उनका कार्यकाल लगभग दो साल का था। दूसरी बार वह 28 जनवरी 2013 को इस पद पर काबिज हुई। गुरुवार को वह तीसरी बार चुनाव जीतीं तो परिवार समेत समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि के पीछे पति अशोक सिंह का बड़ा हाथ रहा है। अशोक खुद वर्ष 2000 में जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे। इसके बाद 2001 में ब्लॉक प्रमुख चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की। इससे पहले कि वह पंचायत अध्यक्ष चुनाव की तैयारी करते, महिला सीट होने की वजह से उन्हें अपनी पत्‍‌नी को चुनावी मैदान में उतारना पड़ा।

लगा रहा सपा नेताओं का जमावड़ा

गुरुवार को वोटिंग के दौरान सपा के नेताओं का जमावड़ा जिला पंचायत भवन और पुलिस लाइन के आसपास लगा रहा। इनमें सपा विधायक हाजी परवेज अहमद टंकी, बिजमा यादव, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष हेमंत सिंह टुन्नू, सपा जिलाध्यक्ष कृष्णमूर्ति सिंह यादव आदि शामिल रहे। भारी संख्या में सपाई सुबह से ही आनंद हॉस्पिटल चौराहे पर बैरीकेडिंग के बाहर जमे रहे। इनको काबू करने में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। परिणाम घोषित होने के बाद सैकड़ों की संख्या में सपाई जिला पंचायत भवन के गेट पर पहुंचे गए और जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। जुलूस की शक्ल में समर्थक बगल स्थित रेखा सिंह के आवास पर पहुंचे और घंटों नारेबाजी होती रही। इस दौरान पुलिस और प्रशासन के आलाधिकारी मूक दर्शक बने रहे। बता दें कि चुनाव के मददेनजर शहर में धारा 144 लगाई गई है।

परिणाम आने से पहले छूटे पटाखे

अपनी जीत को लेकर आश्वस्त सपाईयों के उत्साह का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि परिणाम शाम चार बजे घोषित हुआ लेकिन तीन बजे से ही जिंदाबाद के नारे लगने लगे थे। खुशी में चूर सपाईयों ने कानून व्यवस्था का मजाक बनाते हुए आनंद हॉस्पिटल चौराहे के नजदीक पटाखे भी फोड़े। उधर, म्योहाल चौराहे से आनंद हॉस्पिटल चौराहे बीच जिला पंचायत भवन मार्ग पर गुरुवार को जबरदस्त बैरीकेडिंग की गई थी। दोनों चौराहों के बीच पड़ने वाली दुकानों को भी बंद करा दिया गया था।

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1995 में मिला जिला पंचायत का दर्जा

इलाहाबाद में जिला पंचायत का गठन वर्ष 1995 में हुआ था। इसके पहले यह जिला परिषद हुआ करती थी। परिषद में सर्वप्रथम निर्वाचित अध्यक्ष सरयू प्रसाद पांडेय थ जो 1957 से 1970 तक इस पद पर कायम रहे। इसके बाद कमला बहुगुणा इस पद पर आसीन हुई। वह 1977 तक जिला परिषद अध्यक्ष रहीं और उनके बाद ब्रम्हदेव सिंह 1989 से 1995 तक अध्यक्ष पद पर काबिज रहे। इलाहाबाद में पहले जिला पंचायत अध्यक्ष विश्राम दास मई 1995 में निर्वाचित हुए। इसके बाद पांच बार केशरी देवी पटेल इस पद पर आसीन हो चुकी हैं। सर्वप्रथम उनका कार्यकाल वर्ष 2000 में तीन महीने का रहा था। इसी साल अगस्त में चुनाव जीतने के बाद वह पांच साल तक अध्यक्ष बनी रहीं। रेखा सिंह तीसरी बार जीती हैं।

चुनाव परिणाम पर एक नजर

कुल प्रत्याशी तीन

कुल वोटरों की संख्या 90

विजयी प्रत्याशीरेखा सिंह सपा

कुल मिले वोट 75

निकटतम प्रतिद्वंदी केशरी देवी पटेल

कुल मिले वोट 12

तीसरी प्रत्याशी बबिता सिंह अपना दल

कुल मिले वोट दो

अवैध मत एक

Posted By: Inextlive