Don’t take health advice on internet
इंटरनेट फिज़ीशियन की जगह नहीं ले सकता है. इसकी वजह बताते हुए डॉ. एक के खन्ना कहते हैं, 'अगर हेडेक आपकी प्रॉब्लम है तो इसकी कई वजहें हो सकती हैं. हो सकता है कि यह हेडेक किसी सीरियस हेल्थ डिसीज़ की ओर इशारा कर रहा हो लेकिन आप हेडेक की दवा लेकर इससे बच जाते हैं और आपको लगता है कि सबकुछ ठीकठाक हो गया.'
डॉक्टर नंदिनी रस्तोगी के मुताबिक, 'कई एमबीबीएस के स्टूडेंट्स को शुरुआती स्टडी के दौरान लगता है जैसे डिसीजे़स के सारे सिम्पटम्स उनसे मेल खाते हैं. नेट पर हेल्थ सिम्पटम्स पढऩे वाले कई लोगों को भी ये प्रॉब्लम फेस करनी पड़ सकती है.' किन बातों का रखें ख्याल?
कई डिसीजेस के सिम्पटम्स सिमिलर होते हैं. इसमें आप कंफ्यूज हो सकते हैं, यहां आपसे गलती हो सकती है, इसलिए अंतिम डिसीजन डॉक्टर पर छोड़ें.अगर आप किसी वेबसाइट से किसी आर्टिकल को पढ़ रहे हैं तो यह श्योर कर लें कि राइटर कोई हेल्थ एक्सपर्ट हो.इंटरनेट कभी भी आपका पहला सोर्स नहीं होना चाहिए. आपकी सभी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन इंटरनेट पर नहीं मिलेगा. आधी-अधूरी जानकारी पर यकीन ना करें.स्पेशली आंख, नाक, कान, हार्ट, डायबिटीज़ जैसे सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम का सॉल्यूशन इंटरनेट पर नहीं ढूंढ़ें. कुछ सिम्पटम्स से आप किसी नतीजे पर ना पहुंचें जब तक कि सिम्पटम्स का पूरा ग्रुप किसी डिसीज से ना मेल खाए.