ज्‍योतिष विद्या में रत्‍नों का बड़ा महत्‍व हैं। ऐसे में अक्‍सर लोग ज्‍योतिषाचार्यों व हस्तरेखा विशेषज्ञों के कहने पर रत्‍नों को धारण करते हैं। हालांकि इस दौरान लोगों के मन में एक बड़ी शंका होती है कि जो रत्‍न वे धारण कर रहे वह असली है या नकली। ऐसे में अगर आप भी रत्‍न खरीदने जा रहे हैं और पहले असली रत्‍न की पहचान करना सीख लें। असली रत्‍न कैसे पहचानना है यहां पर पर पढ़ें...


गोमेद: असली गोमेद में एयर बबल्स नहीं नजर आते हैं। इसके अलावा इसे चौबीस घन्टे गोमूत्र में रखने पर उसका रंग बदलने लगता है। लहसुनिया: असली लहसुनिया पत्थर पर भी रगड़ने पर टूटता नहीं है। इसके अलावा अंधेरे कमरे में रखने पर इसकी किरणे साफ दिखाई देती हैं। मोती: मोती को तर्जनी से पकड़ने पर वह कुछ ही देर में गर्म हो जाएगा। वहीं मोती को पानी में डालने पर उसमें किरणें दिखाई देती हैं।  पुखराज: पुखराज को सफेद कपड़े में बांधकर धूप में रखने पर उसमें पीली छाया दिखती है। असली पुखराज को एक दिन दूध में रखने पर उसका रंग नहीं बदलेगा।  हीरा:
हीरे पर मुंह से भाप छोड़ने पर उस पर भाप नहीं जमेगी। इसके अलावा गर्म दूध में डालने पर वह ठंडा हो जाता है।

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Posted By: Shweta Mishra