Jamshedpur: सिटी के डॉक्टर पेशेंट्स पर खासे मेहरबान हैं. पेशेंट्स से उनका लगाव देखिए कि चेकअप के बाद दवाइयों के नाम बताने के साथ-साथ उनके मिलने की जगह भी खुद ही बता देते हैं. असल में डॉक्टर फार्मा कंपनीज और मेडिकल स्टोर्स के सांठ-गांठ में डॉक्टर साहब अपना उल्लू सीधा कर रहे है और पेशेंट्स सिर्फ परेशान होते हैं.

Stores से fix है commission
फार्मा बिजनेस के एक जानकार ने बताया कि मेडिसीन शॉप्स द्वारा कई डॉक्टर्स को दवाइयों पर 10 परसेंट तक कमीशन दिया जाता है। इसके अलावा डॉक्टर्स को किसी खास कंपनी की दवा लिखने के लिए फार्मा कंपनीज की तरफ से भी कई तरह के फायदे मिलते हैं।

Patients होते हैं परेशान
कई बार कुछ डॉक्टर्स की लिखी दवाइयां खास दुकान को छोडक़र अन्य जगह नहीं मिलती। ऐसे में ऐसी दवाइयों के लिए हर बार उन्हीं दुकानों पर जाना पड़ता है। एक मेडिकल शॉप ओनर ने बताया कि एमजीएम हॉस्पिटल के डॉक्टर्स द्वारा लिखी गई दवाइयां आमतौर पर कुछ खास दुकानों में ही मिलती हैं। एक दुकानदार ने बताया कि कई डॉक्टर ऐसी दवाइयां प्रिस्क्राइब करते हैैं जिनका दूसरी दुकानों पर मिलना मुश्किल होता है। हॉस्पिटल में हर रोज करीब एक हजार से ज्यादा पेशेंट ट्रीटमेंट के लिए आते है, ऐसे में इन खास दुकानदारों के बिजनेस का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

क्या कहता है rule
इंडियन मेडिकल काउंसिल (प्रोफेशनल कंडक्ट, एटिकेट एंड इथिक्स) रेग्यूलेशन, 2002 के सेक्शन 6.4 के अनुसार किसी भी मेडिकल, सर्जिकल या अन्य ट्रीटमेंट के लिए पेशेंट को रेफर या रिकोमेंड करने के लिए कोई भी डॉक्टर गिफ्ट, कमीशन या बोनस नहीं ले सकता। सेक्शन 1.5 में हर फिजीशियन को जहां तक संभव हो सके जेनरिक मेडिसीन प्रिस्क्राइब करने के साथ-साथ रेशनल प्रिस्क्रिप्शन और दवाओं के इस्तेमाल को इंश्योर करने को कहा गया है। हाल में एमसीआई ने एक सर्कुलर जारी कर डॉक्टर्स को जेनरिक मेडिसीन प्रिस्क्राइब करने को कहा था।

मोनोपॉली टे्रड प्रैक्टिस के  ह ै against
झारखंड स्टेट मेडिकल काउंसिल के सेक्रेटरी ए के सिंह ने बताया कि अगर कोई डॉक्टर इस तरह के प्रैक्टिस में इंवाल्व है तो जानकारी मिलने पर उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिए जाएंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि अगर डॉक्टर मेडिकल स्टोर से दवा के अगेंस्ट में किसी तरह का कमिशन लेता है तो भी इसे प्रूव करना काफी मुश्किल हो जाता है। उन्होंने बताया कि अगर किसी डॉक्टर की पे्रस्क्राइब की गई मेडिसीन किसी एक दुकान में ही मिलती है तो ये मोनोपॉली ट्रेड प्रैक्टिस के अंदर आता है, अगर ऐसा कोई इंसीडेंस पाया जाता है तो कारवाई का प्रोविजन है।

Commission के खेल में परेशान हो रहे patient
सिटी में कई डॉक्टर पेशेंट्स को दवाइयां प्रिस्क्राइब करने के साथ-साथ किसी खास मेडिसीन शॉप का नाम भी बता देते हैं। पेशेंट्स को उसी दुकान से दवाइयां लेने की हिदायत भी दी जाती है। एक मेडिसीन शॉप ओनर ने बताया कि कई बार तो डॉक्टर पेशेंट्स को मेडिसीन खरीदने के बाद यह देखने के लिए दोबारा बुलाते हैैं कि दवाइयां उसी दुकान से खरीदी गई हैैं या नहीं। पर क्या आपको पता है दवाइयों को लेकर की जाने वाली इस पूरी एक्सरसाइज की वजह क्या है? जी हां, ये खेल कमीशन का है। हर प्रिस्क्रिप्शन पर डॉक्टर को मेडिकल स्टोर और दवा कंपनियों से अच्छी खासी रकम मिलती है। जबकि पेशेंट्स सिर्फ परेशान होते हैं।

Report by: abhijit.pandey@inext.co.in

Posted By: Inextlive