-केजीएमयू में दशकों से हो रही थी मानकों की अनदेखी

-एमसीआई के नियमों को ताक पर रखकर दी गई तैनाती

LUCKNOW: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में पिछले कुछ सालों में आंख मूंदकर अपनों को फायदा पहुंचाने का मामला सामने आया है। पूर्व के कई वीसी सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारियों ने एमसीआई के मानकों को ताक पर रखते हुए टीचर्स को प्रमोशन और तैनाती दी। कोर्ट और एमसीआई के निर्देशों पर शिक्षकों के प्रमाण पत्र खंगाले गए तो ये गड़बड़ी सामने आई। जो अनुभव प्रमाण पत्र लगाकर टीचर्स को तैनाती मिली वह एमसीआई के मानकों पर खरा नहीं उतरते। अब मामले की डीन से दोबारा जांच कराकर एग्जिक्यूटिव काउंसिल मीटिंग में रखने की तैयारी है, जिसमें कई टीचर्स का डिमोशन और रिकवरी का खतरा सता रहा है।

कई डॉक्टर्स पर लटकी तलवार

सूत्रों के मुताबिक सर्जरी के डॉ। केके सिंह की नियुक्ति के मामले में केजीएमयू ने कोर्ट में कहा था कि उनके प्रमाण पत्र मानकों पर खरे नहीं उतरते। जिसके बाद कोर्ट ने अन्य टीचर्स का भी ब्यौरा तलब कर लिया। जिसके बाद सभी टीचर्स के प्रमाण पत्रों की जांच के दौरान पूर्व के वीसी के समय हुआ खेल सामने आ गया था। लेकिन, इतनी अधिक संख्या में टीचर्स के होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई और मामले को दबा दिया गया। अब एमसीआई ने भी मामले में जानकारी मांग ली। प्रमाणपत्र एमसीआई भेजे गए तो एमसीआई ने अनुभव को अमान्य करार दिया। जिसके बाद ही वीसी प्रो। रविकांत ने सभी संबंधित टीचर्स की जानकारी उनसे ईमेल पर शेयर कर दी।

बिना अप्रूवल कर दी भर्ती

सूत्रों के मुताबिक टीचर्स की लिस्ट में बड़ी संख्या ऐसी है, जिनके शैक्षिक अनुभव प्रमाण पत्र एमसीआई के मानकों पर खरे नहीं उतर रहे थे। शासन का आदेश मिलने पर बिना इंटरव्यू और परीक्षा के ही सीधे ज्वाइनिंग दे दी गई। ज्यादातर टीचर तब के हैं, जब केजीएमयू का आस्तित्व एक मेडिकल कॉलेज के रूप में लखनऊ यूनिवर्सिटी के अधीन था।

भर्ती संबंधी रिकॉर्ड ही गायब

केजीएमयू प्रशासन की मानें तो लगभग 60 टीचर ऐसे हैं, जिनके भर्ती संबंधी रिकॉर्ड गायब कर दिए गए। ये सब ऐसी भर्तियां हैं, जिनके प्रमाण पत्र वैध न होने के बावजूद उन्हें तैनाती दी गई। भर्ती संबंधी दस्तावेज गायब होने पर इन पर कार्रवाई आसान न होगी।

नेपाल की डिग्री दिखाकर मिली ज्वाइनिंग

इनमें से बहुत से टीचर ऐसे भी हैं, जिन्होंने नेपाल व अन्य देशों के अनुभव प्रमाण पत्र लगाकर तैनाती पा ली। इन कॉलेजों को एमसीआई ने मान्यता नहीं दी। नेपाल के एक कॉलेज को एमसीआई ने पहले रिकग्नाइज किया था, बाद में उसे भी लिस्ट से हटा दिया गया। ऐसे में अगर इन कॉलेजों के शैक्षिक प्रमाण पत्र लगाकर उन्हें प्रमोशन दिया जाता है तो उसके लिए एमसीआई से अप्रूवल लेना पड़ता है। तत्कालीन अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया। बिना एमसीआई की हरी झंडी के ही तैनाती दी गई।

अभी और मिल सकते मामले

केजीएमयू के वीसी प्रो। रविकांत के अनुसार सभी फैकल्टी मेंबर्स के दस्तावेज ऑनलाइन करने का काम चल रहा है। जिसमें सभी के प्रमाण पत्रों को गहनता से चेक किया जा रहा है। इसमें अभी और बहुत से टीचर ऐसे सामने आ सकते हैं, जिन्होंने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाकर केजीएमयू में तैनाती पा ली।

रिटायर्ड टीचर्स के भी नाम

वीसी द्वारा जारी की गई लिस्ट में कई ऐसे नाम हैं, जो रिटायर हो चुके हैं। वीसी प्रो। रविकांत का कहना है कि केजीएमयू की नियमावली में ये प्रावधान पहले से ही है कि वीसी जब चाहे अपनी फैकल्टी मेंबर्स की जांच करा सकता है।

लिस्ट की वजह अंदरूनी लड़ाई

कई टीचर्स ने आरोप लगाया कि कार्य परिषद में कई ऐसे मेंबर हैं, जो केजीएमयू से रिटायर हो चुके हैं और हमेशा वीसी का विरोध करते आए हैं। खिलाफ आवाज उठाने वाले टीचर्स एसोसिएशन के सदस्यों को नियंत्रण में रखने के लिए ही वीसी ने ये लिस्ट तैयार कराई। इसमें केजीएमयू टीचर्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट और एनाटमी विभाग के डॉ। नवनीत कुमार का नाम एक लिस्ट में रिकग्नाइज्ड की श्रेणी में है तो दूसरी श्रेणी में नॉन रिकग्नाइज्ड की श्रेणी में है।

डीन को इन डॉक्टर्स के प्रमाण पत्र चेक करने को गया है। उसके बाद मामले को एक्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग रखा जाएगा। उसके आधार पर ही आगे कार्यवाही होगी।

प्रो। रविकांत, वीसी, केजीएमयू

लिस्ट में इनके नाम

एनाटमी- डॉ। अनीता रानी।

एनेस्थीसिया- डॉ। रीता वहल, डॉ। जयश्री बोगरा, डॉ। गुरमीत सिंह, डॉ। शशी भूषण, डॉ। सोभना जाफा, डॉ। अनीता मलिक, डॉ। गिरी चंद्रा, डॉ। रजनी कपूर, डॉ। ज्योत्सना अग्रवाल।

कम्युनिटी मेडिसिन- डॉ। ओपी सिंह

मेडिसिन- डॉ। कौसर उस्मान, डॉ। केके सावलानी, डॉ। मनीष गुच, डॉ। सुधीर कुमार वर्मा

फिजियोलॉजी-डॉ। मनीष बाजपेई, डॉ। प्रदीप कुमार, डॉ। वाणी गुप्ता

प्लास्टिक सर्जरी- डॉ। विजय कुमार

आब्स एंड गाइनी- डॉ। यशोधरा प्रदीप, डॉ। मंजू शुक्ला, डॉ। इंदू टंडन, डॉ। पूनम किशोर, डॉ। अंजू अग्रवाल, डॉ। निशा

फॉरेन्सिक मेडिसिन- डॉ। अनूप कुमार वर्मा,

आर्थोपेडिक - डॉ। आशीष कुमार, डॉ। आरएन श्रीवास्तव

पैथोलॉजी - डॉ। कमल अग्रवाल, डॉ। मीनाक्षी कार, डॉ। सुरेश बाबू, डॉ। वीके कोहली, डॉ। एसएम जहीर, डॉ। रश्मि कुशवाहा, डॉ। वाहिद अली।

फार्माकोलॉजी- डॉ। आमोद कुमार सचान, डॉ। संजय खत्री, डॉ। राजेंद्र नाथ

ईएनटी- डॉ। अनुपम मिश्रा,

आप्थैल्मोलॉजी- डॉ। अरून कुमार शर्मा, प्रमोद कुमार, डॉ। शशि कुमार भास्कर

पीएमआर- डॉ। वीपी शर्मा, डॉ। एके अग्रवाल।

रेडियोडायग्नोसिस- डॉ। सुनील कुमार, डॉ। नसीम जमाल, डॉ। पीके श्रीवास्तव।

रेडियोथेरेपी- डॉ। राजीव गुप्ता

सर्जरी- डॉ। एए सोनकर, डॉ। केके सिंह, डॉ। विनोद जैन

माइक्रोबायोलॉजी- डॉ। गोपा बैनर्जी, डॉ। ज्योत्सना अग्रवाल

सीवीटीएस- डॉ। सुशील कुमार सिंह

ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन- डॉ। तूलिका चंद्रा

Posted By: Inextlive