भारत के स्वतंत्रता संग्राम में क्रांत‍िकारियों की बात हो और उसमें दुर्गावती बोहराका नाम न आए ऐसा हो नहीं सकता है। आज यह इस दुन‍िया में नहीं हैं लेकि‍न यह वही दुर्गा वती हैं ज‍िन्‍हें दुर्गा भाभी के नाम से भी जानते हैं। दुर्गा भाभी एक बार भगत सिंह की पत्‍नी भी बनी थीं। आइए जानें 7 अक्टूबर को जन्‍मीं दुर्गावती के बारे में खास बातें...


दुर्गावती का जन्म दुर्गावती का जन्म 7 अक्टूबर, 1902 को शहजादपुर ग्राम में पंडित बांके बिहारी के यहां हुआ था। दुर्गावती के इनके पिता इलाहाबाद कलेक्ट्रेट में नाजिर थे और इनके बाबा महेश प्रसाद भट्ट थानेदार थे। 10 साल की उम्र में शामदुर्गावती महज 10 साल की उम्र में ही यह लाहौर के भगवती चरण बोहरा के साथ विवाह बंधन में बंध गई थीं। भगवती चरण वोहरा ने देश को दासता से मुक्त कराने में एक विशेष भूमिका निभाई थी। दुर्गा भाभी' के नामदुर्गावती और भगवती चरण वोहरा वोहरा दोनों के अंदर क्रांतिकारी विचार थे। पति-पत्नी दोनों ही देश को आजाद कराने के लिए प्रयासरत रहे। दुर्गावती को साथी क्रांतिकारी 'दुर्गा भाभी' के नाम पुकारते थे। बहादुरी के किस्से


दुर्गावती बहुत बहादुर थीं। 9 अक्टूबर, 1930 को गवर्नर हैली पर गोली चला दी थी। इस दौरान वह तो बच गए एक लेकिन उनका सैनिक अधिकारी टेलर घायल हो गया। इसके अलावा उन्होंने कमिश्नर को भी दुर्गा भाभी ने गोली मारी थी। अंग्रेजों से अकेले भिड़ी

दुर्गावती पिस्तौल चलाने में माहिर थीं। अंग्रेजों से लड़ते वक्त जिस चंद्रशेखर आजाद ने पिस्तौल से खुद को गोली मारी थी वह उन्हें दुर्गा भाभी ने ही लाकर उनको दी थी। कई मोड़ ऐसे भी आए जब वह अंग्रेजों से अकेले भी भिड़ीं थीं। भगत सिंह की पत्नीदुर्गा भाभी का भगत सिंह की पत्नी बनने वाला किस्सा आज भी चर्चित है। अंग्रेजों के एक मिशन को फेल करने के लिए दुर्गा भाभी ने 18 दिसंबर 1928 को वेश भूषा बदलकर कलकत्ता-मेल से यात्रा की थी। क्रांतिकारी भी साथ थे इस दौरान वह भगत सिंह की पत्नी बनकर उनके साथ बैठ गई थीं। वहीं राजगुरु सर्वेन्ट्स के कम्पार्टमेंट में बैठे थे। जब इस मिशन में इनके साथ शामिल चंद्रशेखर तीर्थयात्रियों के ग्रुप में गाते हुए सफर कर रहे थे। पति शहीद हो गए दुर्गावती के पति भगवती चरण वोहरा 28 मई 1930 को रावी नदी के तट पर साथियों के साथ बम बनाने के बाद उसके परीक्षण में शहीद हो गए थे। इसके बाद इन्होंने एक शिक्षिका के रूप में काम किया। मांटेसरी स्कूल की नींव इतना ही नहीं इन्होंने मांटेसरी स्कूल की नींव भी रखी थीं। मद्रास से मांटेसरी सिस्टम की ट्रेनिंग ली और लखनऊ में एक मांटेसरी स्कूल खोला। ऐसे में 1956 में इनके इस कार्य की जानकारी होने के बाद जवाहरलाल नेहरू इनसे मिलने आए थे। दूनिया को अलविदा कहा

बम-पिस्तौल से खेलने वाली दुर्गा भाभी ने जिंदगी के आखिरी दौर को अकेलेपन में गुजारा था। दुर्गावती ने 92 साल की उम्र में 15 अक्टूबर 1999 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।सुरों की मल्लिका बेगम अख्तर की 10 अनजान बातें

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Posted By: Shweta Mishra