राष्ट्रीय जनता दल के शिकायत दर्ज कराने के बाद बिहार विधानसभा के दौरान भाजपा के दो विवादित विज्ञापनों के प्रकाशन पर चुनाव आयोग ने रोक लगा दी है।


सख्त आदेश दिए
राजद की शिकायत पर चुनाव आयोग ने भाजपा के दलित आरक्षण और दलितों पर अत्याचार से संबंधित विज्ञापनों पर रोक लगा दी है। आयोग ने भाजपा को पत्र लिखकर कहा है कि पार्टी इस तरह का विज्ञापन कतई जारी न करे। गौरतलब है कि शुक्रवार को राजद ने मुख्य चुनाव अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर भाजपा द्वारा जारी किए जा रहे विज्ञापनों पर आपत्ति जताई थी। भाजपा ने 28 और 29 अक्टूबर को विभिन्न समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी महागठबंधन पर दलितों का आरक्षण छीनने का साजिश करने का आरोप लगाया था। यही नहीं, दलितों पर हुए कथित अत्याचारों का जिक्र करते हुए विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। 28 अक्टूबर को प्रकाशित विज्ञापन में जिक्र है कि ‘दलितों और पिछड़ों की थाली खींच अल्पसंख्यकों को आरक्षण परोसना क्या सुशासन है?’ 29 अक्टूबर को प्रकाशित विज्ञापन में जिक्र है कि ‘वोटों की खेती के लिए आतंक का फसल सींचना क्या सुशासन है?’शाह के बयान पर भी मांगा जवाब महागठबंधन ने भाजपा की हार पर पाकिस्तान में पटाखे फोड़े जाने की आशंका से संबंधित भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बयान पर सख्त आपत्ति जताई थी। इस पर भी चुनाव आयोग ने रिपोर्ट तलब की है। आचार संहिता मामले लालू फंसे


वहीं महागठबंधन को टारगेट करते हुए भाजपा की शिकायत रही कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद द्वारा अमित शाह को पागल, नरभक्षी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्रह्मपिशाच कहना बेहद निंदनीय है। इस पर चुनाव आयोग ने लालू के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया। लालू पर इस तरह का यह तीसरा मुकदमा है।

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Posted By: Molly Seth